पाकिस्तान : बलूचिस्तान के हालात पर मानवाधिकार संस्था चिंतित, नागरिकों पर हमले को लेकर सरकार से पूछा सवाल

पाकिस्तान : बलूचिस्तान के हालात पर मानवाधिकार संस्था चिंतित, नागरिकों पर हमले को लेकर सरकार से पूछा सवाल

पाकिस्तान : बलूचिस्तान के हालात पर मानवाधिकार संस्था चिंतित, नागरिकों पर हमले को लेकर सरकार से पूछा सवाल

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IANS
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Paank calls out 'grave violation' of human rights in Balochistan by Pakistani officials

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

बलूचिस्तान, 17 जून (आईएएनएस)। मानवाधिकार समूहों ने बलूचिस्तान में पाकिस्तान की कार्रवाइयों की एक बार फिर से निंदा की है। उन्होंने नागरिकों पर हिंसक हमले, जबरन गायब करने और सुरक्षा बलों द्वारा गैर-कानूनी हत्याओं के साथ क्षेत्र में बढ़ती अराजकता को लेकर चिंता जताई है।

बलूचिस्तान में स्थित कई राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं ने लोगों को जबरन गायब किए जाने और अवैध हिरासत के खिलाफ आवाज उठाई है। इसमें महरंग बलूच जैसे राजनेता और कार्यकर्ता शामिल हैं, जिन्हें कई अन्य लोगों के साथ पाकिस्तानी बलों ने हिरासत में लिया है और कथित तौर पर जेल में यातना दी गई है।

बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) की मानवाधिकार शाखा पांक ने पंजगुर के टंप, केच और चिटकन में हाल की घटनाओं की कड़ी निंदा की, जहां हथियारबंद लोगों ने घरों पर हमले किए और अपहरण की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया।

पांक ने कहा, 13 से 16 जून के बीच पंजगुर के टंप, केच और चिटकन में हथियारबंद बंद लोगों ने घरों पर हमले किए। टंप में शफीक और मोहम्मद हयात के घरों पर हैंड ग्रेनेड फेंके गए, जिसमें एक महिला घायल हुई और संपत्ति को नुकसान पहुंचा। पंजगुर में निसार अहमद को अपहरण की कोशिश के दौरान पीटा गया। पुलिस ने परिवार की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया।

मानवाधिकार निकाय ने जहीर अहमद के बेटे सोहेल अहमद के मामले को भी उजागर किया, जिसे 12 जून को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा खारन से कथित तौर पर अगवा कर लिया गया था।

पांक ने कहा, यह जबरन गायब करने की घटना मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है।

एक अन्य मामले में पांक ने ग्वादर के सलाम हैदर की गैर-कानूनी हत्या का खुलासा किया, जो मूल रूप से दश्त, केच का रहने वाला था। उसका शव परिवार को बिना शव देखे अंतिम संस्कार की अनुमति जैसी सख्त शर्तों पर सौंपा गया।

पांक ने कहा, परिवार को शक है कि उसे यातना दी गई थी।

इसके अलावा, बलूच वॉयस फॉर जस्टिस (बीवीजे) ने बलूच छात्रों के बढ़ते अपहरणों पर चिंता जताई। बीवीजे ने क्वेटा से 17 मार्च को नासिर कंबरानी के जबरन गायब होने का मामला उठाया, जिसका 90 दिन बाद भी कोई पता नहीं है।

बीवीजे ने कहा कि छात्रों को उनकी पहचान या शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए निशाना बनाना न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कमजोर करता है, बल्कि पूरे राष्ट्र के बौद्धिक और सामाजिक विकास को भी प्रभावित करता है। उन्होंने मानवाधिकार घोषणापत्र के अनुच्छेद 26 का हवाला दिया, जो शिक्षा के अधिकार की गारंटी देता है।

बीवीजे ने एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच और यूनेस्को जैसे वैश्विक संगठनों से हस्तक्षेप करने और पाकिस्तान पर दबाव डालने की मांग की। उन्होंने कहा, शैक्षणिक स्थान विचार, संवाद और सीखने का सुरक्षित स्थान होना चाहिए, न कि डर और दमन का।

बलूचिस्तान में बढ़ता मानवाधिकार संकट यातना, अवैध हिरासत और असहमति पर क्रूर कार्रवाइयों के आरोपों के बीच अंतरराष्ट्रीय ध्यान की मांग कर रहा है।

इस्लामाबाद के बार-बार खंडन के बावजूद मानवाधिकार संगठन और कार्यकर्ता का कहना है कि यह उत्पीड़न बलूच आवाज को दबाने की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है।

--आईएएनएस

एफएम/जीकेटी

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