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नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)। बड़े निवेश और रणनीतिक साझेदारी से भारत ग्लोबल चिप सप्लाई चेन में एक प्रतिस्पर्धी मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित हो रहा है। यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में दी गई।
इंडिया नैरेटिव की रिपोर्ट में कहा गया है कि 50 प्रतिशत तक राजकोषीय सहायता की पेशकश करने वाली सरकारी योजनाओं के समर्थन से, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2024-25 में 45-50 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 100-110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत संचालित इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) सेमीकंडक्टर फैब्स स्कीम, डिस्प्ले फैब्स स्कीम, कंपाउंड सेमीकंडक्टर और एटीएमपी/ओएसएटी स्कीम और डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) स्कीम सहित कई योजनाएं चलाता है।
सेमीकंडक्टर फैब्स स्कीम और डिस्प्ले फैब्स स्कीम अपने-अपने क्षेत्रों में आने वाली परियोजनाओं के लिए 50 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। डीएलआई योजना प्रत्येक चिप डिजाइन स्टार्टअप या एमएसएमई को 15 करोड़ रुपए तक का प्रोत्साहन प्रदान करती है और अब तक 22 चिप डिजाइन प्रोजेक्ट्स को फंड किया जा चुका है।
सरकार ने इस महीने ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में चार नई सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिससे कुल स्वीकृत परियोजनाओं की संख्या बढ़कर 10 हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने 79वें स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में घोषणा की कि 2025 के अंत तक भारत में निर्मित सेमीकंडक्टर चिप्स बाजार में उपलब्ध हो जाएंगे।
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, माइक्रोन और फॉक्सकॉन जैसी दिग्गज कंपनियां गुजरात, उत्तर प्रदेश और असम में सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित कर रही हैं, जिससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी।
2025 की सेमीकॉन इंडिया प्रदर्शनी में 18 देशों के 300 से ज्यादा प्रदर्शकों के आने की उम्मीद है, जिससे भारत की एक उभरते वैश्विक सेमीकंडक्टर गंतव्य के रूप में स्थिति और मजबूत होगी।
सेमीकंडक्टर उद्योग संचार, स्वास्थ्य सेवा, परिवहन, रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का केंद्र है और यह भारत के लिए आर्थिक सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता का भी विषय है।
वर्तमान सेमीकंडक्टर उद्योग पर कुछ देश जैसे ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका का प्रभुत्व है। हाल ही में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों ने इस तरह के संकेंद्रण के जोखिम को साबित किया है, जिसने भारत को आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण में भारी निवेश करने के लिए प्रेरित किया है।
--आईएएनएस
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