एचएसबीसी ने कहा यूएस टैरिफ से डिरेल नहीं होगा भारत का इक्विटी मार्केट, न्यूट्रल रेटिंग को जारी रखा

एचएसबीसी ने कहा यूएस टैरिफ से डिरेल नहीं होगा भारत का इक्विटी मार्केट, न्यूट्रल रेटिंग को जारी रखा

एचएसबीसी ने कहा यूएस टैरिफ से डिरेल नहीं होगा भारत का इक्विटी मार्केट, न्यूट्रल रेटिंग को जारी रखा

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IANS
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HSBC says US tariffs won’t derail Indian equity market; keeps neutral rating

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। वैश्विक चुनौतियों के बाद भी भारत का इक्विटी मार्केट मजबूत रहेगा। इसकी वजह घरेलू निवेशकों की अधिक भागीदारी और अमेरिकी टैरिफ का न्यूनतम प्रभाव होना है। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

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एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च द्वारा संकलित आंकड़ों में भारत के प्रति न्यूट्रल रुख जारी रखा गया है। हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि भारतीय बाजारों के लिए नौ में से पांच जोखिम कारकों में सुधार हो रहा है।

रिसर्च फर्म ने आगे कहा, टैरिफ से मार्केट डिरेल नहीं होगा, क्योंकि इसका लिस्टेड कंपनियों की आय पर सीधा प्रभाव काफी न्यूनतम है।

रिपोर्ट में बताया गया कि बीएसई 500 कंपनियों में से 4 प्रतिशत से भी कम कंपनियां अमेरिकी निर्यात पर निर्भर हैं। वहीं, फार्मास्युटिकल क्षेत्र को टैरिफ से छूट दी गई है, जिससे आय जोखिम कम हो गया है।

ब्रोकरेज ने कहा कि सरकारी कर प्रोत्साहन और मुद्रास्फीति में कमी के बीच उपभोग की संभावनाएं बेहतर हो रही हैं। साथ ही, यह भी कहा कि अधिक सुधार के लिए वेतन वृद्धि में भी तेजी आनी चाहिए।

बयान में कहा गया, हालांकि हम इक्विटी को आगे बढ़ाने वाले कुछ कारकों में सुधार देख रहे हैं, लेकिन हमें लगता है कि निकट भविष्य में इसमें वृद्धि की संभावना अभी भी सीमित है।

एचएसबीसी के अनुसार, 2025 में आय वृद्धि घटकर 8-9 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, हालांकि कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए आय वृद्धि अनुमान 11 प्रतिशत है।

ब्रोकरेज ने कहा कि जुलाई में घरेलू म्यूचुअल फंडों में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से रिकॉर्ड निवेश हुआ। यह भारतीय बाजारों के लिए सबसे मजबूत सहायक कारक है और इस कारण विदेशी निवेश कम होने पर भी बाजार मजबूत बने हुए हैं।

एचएसबीसी का अनुमान है कि भारतीय और चीनी दोनों बाजार एक साथ अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, क्योंकि दोनों ही स्थानीय निवेशकों द्वारा संचालित हैं और विदेशी संस्थानों की सीमित भागीदारी है।

--आईएएनएस

एबीएस/

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