नई दिल्ली, 11 जुलाई (आईएएनएस)। मजबूत अर्थव्यवस्था के चलते भारत में घरेलू क्रेडिट वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 42.1 प्रतिशत हो गया है। यह वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 20 के दौरान 32 से 35 प्रतिशत की सीमा में स्थिर था। यह जानकारी शुक्रवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की मार्केट प्लस रिपोर्ट में बताया गया कि घरेलू वित्तीय देनदारियों में तेज वृद्धि महामारी के बाद आई है।
यह बढ़ता हुआ क्रेडिट फुटप्रिंट महामारी के बाद के दौर में परिवारों के बीच वित्तीय पहुंच और आत्मविश्वास में वृद्धि को दर्शाता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि महामारी के बाद परिवारों के क्रेडिट में मजबूत वृद्धि हुई है, यह वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 20 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद के 32-35 प्रतिशत पर स्थिर रहा था, लेकिन कोविड के बाद यह वित्त वर्ष 21 में 39.9 प्रतिशत और वित्त वर्ष 24 में 42.1 प्रतिशत तक बढ़ गया।
रिपोर्ट में बताया कि शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत, जो महामारी के कारण सावधानी और खर्च या उधार लेने के कम अवसरों के कारण वित्त वर्ष 2021 में सकल घरेलू उत्पाद के 11.7 प्रतिशत तक असाधारण रूप से बढ़ी थी, धीरे-धीरे सामान्य हो गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में बचत सकल घरेलू उत्पाद के 5.2 प्रतिशत पर थी।
रिपोर्ट के अनुसार, कोविड के बाद, घरेलू वित्तीय देनदारियां वित्त वर्ष 21 के 7.4 लाख करोड़ रुपए से लगभग तीन गुना बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 18.8 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई हैं।
देनदारियों में वृद्धि ने शुद्ध वित्तीय बचत को वित्त वर्ष 2021 के 23.3 लाख करोड़ रुपए के शिखर से घटाकर वित्त वर्ष 2024 में केवल 15.5 लाख करोड़ रुपए कर दिया है।
कोविड के बाद शुद्ध वित्तीय बचत और वित्तीय देनदारियों में हुए विकास ने निजी उपभोग में पर्याप्त सुधार में योगदान दिया है, जिसमें वित्त वर्ष 2023-2025 के दौरान औसतन 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
एनएसई मार्केट पल्स रिपोर्ट के अनुसार, उपभोग वृद्धि आंशिक रूप से घरेलू लोन में वृद्धि से संचालित है।
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