यह जानकर खुशी हुई कि हमने पटौदी विरासत को जीवित रखा है :सचिन तेंदुलकर

यह जानकर खुशी हुई कि हमने पटौदी विरासत को जीवित रखा है :सचिन तेंदुलकर

यह जानकर खुशी हुई कि हमने पटौदी विरासत को जीवित रखा है :सचिन तेंदुलकर

author-image
IANS
New Update
Heartwarming to know that we have kept the Pataudi legacy alive, says Sachin Tendulkar ahead of the first Test of the five-match series between England and India starting in Leeds on Thursday. Photo credit: EnglandCricket/X

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा कि यह उनके लिए खुशी की बात है कि पटौदी परिवार की विरासत भारत-इंग्लैंड क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा बनी रहेगी। इसके लिए दो टीमों के बीच खेली गई टेस्ट सीरीज के विजेता कप्तान को पदक दिया जाएगा। यह सीरीज अब एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के लिए होगी।

तत्कालीन पटौदी ट्रॉफी का नाम बदलकर तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन के नाम पर रखने के ईसीबी के कदम की आलोचना हुई। लेकिन तेंदुलकर ने खुलासा किया कि उन्होंने ईसीबी, बीसीसीआई और आईसीसी चेयरमैन जय शाह से भी संपर्क किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पटौदी नाम भारत-इंग्लैंड क्रिकेट का हिस्सा बना रहे। गुरुवार को इस बात का खुलासा हुआ कि दोनों टीमों के बीच खेली गई प्रत्येक टेस्ट सीरीज के विजेता कप्तान को एक नया पटौदी मेडल दिया जाएगा।

“जब पटौदी ट्रॉफी को रिटायर किया गया, तो मैं स्पेन या कहीं और यात्रा कर रहा था, और मैंने इसके बारे में सुना। ईसीबी और बीसीसीआई ने इसे रिटायर करने और एक नई ट्रॉफी शुरू करने का फैसला लिया। इसलिए, नई ट्रॉफी के बारे में मुझे पहली बार तब पता चला, जब मुझे लगता है कि पिछले महीने ही ईसीबी और बीसीसीआई ने इस ट्रॉफी का नाम हम दोनों के नाम पर रखने का फैसला किया।”

“मुझे लगा कि टेस्ट क्रिकेट में अपने-अपने देशों के लिए हमारे योगदान को मान्यता देना एक अच्छी बात है। उसी समय, मैंने फोन उठाया, और मेरा पहला फोन कॉल पटौदी परिवार को था। मैंने उनसे बात की और विरासत को जीवित रखने के बारे में भी चर्चा की। भारतीय क्रिकेट में योगदान को न भूलना महत्वपूर्ण है और इतनी सारी पीढ़ियों को प्रेरित करना, मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है।”

तेंदुलकर ने शुक्रवार को लीड्स में शुरू होने वाले पहले टेस्ट से पहले चुनिंदा वर्चुअल बातचीत में आईएएनएस से कहा, मैंने कहा, मैं इस पर आपसे बाद में बात करूंगा। मैंने जय शाह (आईसीसी चेयरमैन),बीसीसीआई और ईसीबी से बात की और कुछ विचार साझा किए। कुछ समय और कुछ फोन कॉल के बाद, हमने सर्वसम्मति से फैसला किया कि पटौदी मेडल ऑफ एक्सीलेंस को विजेता कप्तान को दिया जाना चाहिए, क्योंकि वह अपने नेतृत्व के लिए जाने जाते थे और यह एक अच्छा मैच होगा।

पटौदी परिवार की विरासत भारत और इंग्लैंड के बीच क्रिकेट के इतिहास से गहराई से जुड़ी हुई है। इफ्तिखार अली खान पटौदी और उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी दोनों ने भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया और इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट भी खेला, जिसमें पटौदी टेस्ट में दोनों देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र क्रिकेटर थे।

तेंदुलकर ने निष्कर्ष निकाला, उन फोन कॉल और कई चर्चाओं का नतीजा बहुत ही सकारात्मक रहा। यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि हमने विरासत को जीवित रखा है। यह महत्वपूर्ण है कि इसे उसी तरह याद किया जाए जिस तरह से इसका मतलब है। मैंने हमेशा अपने वरिष्ठों का सम्मान किया है, और मैंने हमेशा हमारे देश के लिए उनके योगदान को महत्व दिया है, क्योंकि उसी समय नींव रखी गई थी। उस नींव पर, समय के साथ कई चीजें हुई हैं। उम्मीद है कि नई पीढ़ी जो बनाएगी, वह कुछ ऐसा होगा जिसे हम समय के साथ याद करेंगे और उस पर गर्व करेंगे। इसलिए हम अपने नायकों को नहीं भूल सकते, और कुल मिलाकर, यह वास्तव में एक सकारात्मक परिणाम था, न केवल हम दोनों के नाम पर ट्रॉफी होना, बल्कि यह जानना भी कि श्री पटौदी की विरासत बहुत जीवित है।

--आईएएनएस

आरआर/

Advertisment

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
Advertisment