सहस्राब्दी के लिए 'टाइम कैप्सूल' में समाहित गुजरात की विरासत : पीएम मोदी की दूरदर्शी पहल

सहस्राब्दी के लिए 'टाइम कैप्सूल' में समाहित गुजरात की विरासत : पीएम मोदी की दूरदर्शी पहल

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IANS
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Gujarat’s legacy sealed for a millennium with 'Time Capsule': PM Modi’s visionary initiative

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)। साल 2010 में, जब इसी दिन (7 जून) गुजरात राज्य को बने 50 साल हो गए थे, उस समय राज्य के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी (जो अब भारत के प्रधानमंत्री हैं) ने एक अनोखी पहल की थी। इस पहल का उद्देश्य इतिहास को भविष्य से जोड़ना था। उन्होंने गांधीनगर के महात्मा मंदिर परिसर में एक टाइम कैप्सूल को धरती में दबाया। इस कैप्सूल का उद्देश्य था- गुजरात की 1960 से अब तक की यात्रा को भविष्य के लिए सहेजना। यह सन्दूक को आज से 1000 साल बाद खोला जाना है।

इस घटना को हाल ही में एक वीडियो के जरिए फिर से लोगों के सामने लाया गया। यह वीडियो ‘मोदी स्टोरी’ नाम के सोशल मीडिया अकाउंट ने एक्स प्लेटफॉर्म पर शेयर किया। इसका शीर्षक था “गुजरात टाइम कैप्सूल- मोदी की एक कालातीत विरासत को श्रद्धांजलि।”

यह सन्दूक स्टेनलेस स्टील से बना है, जिसका वजन करीब 90 किलो है। इसे ऐसे तैयार किया गया है कि हज़ारों साल तक सुरक्षित रह सके। इसमें गुजरात की विकास यात्रा, उसकी संस्कृति, व्यापार, अध्यात्म और ऐतिहासिक उपलब्धियों को दर्शाने वाली चीजें रखी गई हैं।

इस कैप्सूल में कई दस्तावेज और ऐतिहासिक चीजें रखी गई हैं, जिसमें महात्मा गांधी के मार्गदर्शक सिद्धांतों, रविशंकर महाराज के ऐतिहासिक भाषण, जिसने गुजरात के निर्माण को प्रेरित किया, और राज्य के सामाजिक-सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मील के पत्थरों का एक व्यापक वर्णन शामिल है। ये अभिलेख चार भाषाओं में अंकित हैं: गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत।

गुजरात की चौथी वित्त आयोग के अध्यक्ष यमल व्यास ने वीडियो में बताया कि यह विचार मोदी जी का था। उन्होंने कहा, 2010 में, मोदी जी ने संस्कृति को संरक्षित करने के लिए एक दूरदर्शी सुझाव दिया था। कैप्सूल में गुजरात का संक्षिप्त लेकिन विस्तृत इतिहास शामिल है, जो चार भाषाओं में लिखा गया है, साथ ही पिछले 50 वर्षों में राज्य के विकास का विस्तृत विवरण भी है।

यहां तक ​​कि स्क्रिप्ट और कागज को भी लंबे समय तक चलने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया था। यह दस्तावेज विशेष कागज पर छापे गए थे, जिसमें प्लास्टिक मिलाया गया था, ताकि वह बहुत लंबे समय तक खराब न हो और पढ़े जा सकें।

यह टाइम कैप्सूल केवल अतीत की याद नहीं है, बल्कि यह गुजरात की पहचान, आत्मबल और दूरदर्शिता का प्रतीक है – जो आने वाली पीढ़ियों तक उसकी आवाज बनकर पहुंचेगा।

--आईएएनएस

एएस/

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