जीएसटी सुधार भारत की कर प्रणाली में पारदर्शिता लाएंगे : फिक्की

जीएसटी सुधार भारत की कर प्रणाली में पारदर्शिता लाएंगे : फिक्की

जीएसटी सुधार भारत की कर प्रणाली में पारदर्शिता लाएंगे : फिक्की

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IANS
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GST reforms will bring transparency to India’s tax system, correct inverted duty structure: FICCI

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 4 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने गुरुवार को जीएसटी 2.0 सुधारों की सराहना की। इन सुधारों से भारत के टैक्स सिस्टम में पूर्वानुमान और पारदर्शिता आएगी और कई सेक्टर में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को सही किया गया है।

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इंडस्ट्री ग्रुप ने कहा कि जीएसटी परिषद द्वारा 22 सितंबर, 2025 से प्रभावी नव-स्वीकृत द्वि-स्तरीय जीएसटी फ्रेम से श्रम-प्रधान उद्योगों, परिवारों और उपभोग-संचालित विकास को लाभ होगा।

फिक्की की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, जीएसटी 2.0 सुधार उपभोक्ता-केंद्रित और विकास-उन्मुख सुधार हैं, जो भारत की कर प्रणाली में पारदर्शिता, पूर्वानुमान और स्थिरता लाएंगे।

इसमें आगे कहा गया है कि कपड़ा, उर्वरक और रिन्यूएबल एनर्जी में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार से आयात पर निर्भरता कम होगी और भारतीय वस्तुओं की वैश्विक लागत प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा।

उद्योग निकाय ने कहा कि इन सुधारों से परिवारों, श्रम-प्रधान उद्योगों, एमएसएमई और स्वास्थ्य सेवा, कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑटोमोबाइल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को सीधा लाभ होगा, जिससे उपभोक्ताओं की लागत कम होगी और उपभोग-संचालित विकास को बढ़ावा मिलेगा।

फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि इन सुधारों से वर्गीकरण संबंधी विवाद कम होंगे, अनुपालन में सुधार होगा और इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के कारण उत्पन्न विसंगतियों का समाधान होगा।

उन्होंने स्वीकार किया कि सरकार के लिए राजस्व संबंधी निहितार्थ हैं, लेकिन फिक्की अध्यक्ष ने यह भी कहा कि दरों में कमी से उपभोग मांग बढ़ेगी और मुद्रास्फीति पर अंकुश लगेगा।

आवश्यक वस्तुओं और साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, हेयर ऑयल और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों जैसे एफएमसीजी उत्पादों पर जीएसटी दरों में कमी से घरेलू बजट आसान होगा और उपभोग बढ़ेगा।

कृषि से संबंधित वस्तुओं पर कम दरें किसानों की लागत कम करेंगी, ग्रामीण आय में वृद्धि करेंगी और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देंगी। इसी प्रकार, उद्योग निकाय ने कहा कि पूंजीगत वस्तुओं और औद्योगिक इनपुट पर दरों में कटौती से विनिर्माण लागत में कमी आएगी।

हस्तशिल्प, कपड़ा, चमड़ा, जूते, संगमरमर, ग्रेनाइट और खिलौनों जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को कर में राहत देने से एमएसएमई को मजबूती मिलेगी, पारंपरिक आजीविका की रक्षा होगी और नए रोजगार सृजित होंगे।

फिक्की के अनुसार, सीमेंट, रिन्यूएबल एनर्जी डिवाइस और निर्माण सामग्री पर कम जीएसटी से आवास और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा मिलेगा, जो कि सरकार के सभी के लिए आवास विजन से जुड़ा है।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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