जीएसटी सुधारों से वित्त वर्ष 26-27 में सीपीआई मुद्रास्फीति 65-75 आधार अंकों के दायरे में हो सकती है कम : रिपोर्ट

जीएसटी सुधारों से वित्त वर्ष 26-27 में सीपीआई मुद्रास्फीति 65-75 आधार अंकों के दायरे में हो सकती है कम : रिपोर्ट

जीएसटी सुधारों से वित्त वर्ष 26-27 में सीपीआई मुद्रास्फीति 65-75 आधार अंकों के दायरे में हो सकती है कम : रिपोर्ट

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IANS
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GST reforms to moderate CPI inflation in range of 65-75 bps over FY26-27

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 5 सितंबर (आईएएनएस)। एसबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी सुधारों से वित्त वर्ष 26-27 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 65-75 आधार अंकों के दायरे में कम हो सकती है। साथ ही, सरल जीएसटी 2.0 सिस्टम से मध्यम वर्ग से उपभोग में वृद्धि, कम मुद्रास्फीति, व्यापार और जीवनयापन में आसानी जैसे कई लाभ प्राप्त होंगे।

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आवश्यक वस्तुओं (लगभग 295 वस्तुओं) पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत/शून्य हो गई है, इसलिए खाद्य वस्तुओं पर 60 प्रतिशत पास-थ्रू प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, वित्त वर्ष 26 में इस श्रेणी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति भी 25-30 आधार अंकों तक कम हो सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार, इसके अलावा, सेवाओं की जीएसटी दरों को रेशनलाइज बनाने से अन्य वस्तुओं और सेवाओं पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति में 40-45 आधार अंकों की कमी आएगी, जिसका 50 प्रतिशत पास-थ्रू प्रभाव होगा।

एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, कुल मिलाकर, हमारा मानना ​​है कि वित्त वर्ष 26-27 में सीपीआई मुद्रास्फीति 65-75 आधार अंकों के दायरे में रह सकती है।

जिन 453 वस्तुओं पर जीएसटी दर में बदलाव किया गया है, उनमें से 413 वस्तुओं की दरों में कमी आई है जबकि केवल 40 वस्तुओं की दरों में वृद्धि हुई है।

सरकार का अनुमान है कि इस रेशनलाइजेशन का वार्षिक आधार पर शुद्ध राजकोषीय प्रभाव 48,000 करोड़ रुपए होगा। हालांकि, विकास की प्रवृत्ति और उपभोग में वृद्धि के आधार पर, हमें जीएसटी में लगभग 3,700 करोड़ रुपए के राजस्व नुकसान की उम्मीद है, जिसका राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

हालांकि, पिछले कुछ प्रकरणों में, दरों में कटौती से लगभग 1 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि रेशनलाइजेशन को मांग को बढ़ावा देने वाले अल्पकालिक उपाय के बजाय एक संरचनात्मक उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए, जो कर प्रणाली को सरल बनाता है, अनुपालन बोझ को कम करता है और स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ाता है, जिससे कर आधार का विस्तार होता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, सुव्यवस्थित जीएसटी ढांचे के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को दीर्घकालिक राजस्व वृद्धि और अर्थव्यवस्था में अधिक दक्षता की दिशा में एक कदम के रूप में समझा जा सकता है।

जीएसटी दरों को रेशनलाइज बनाने का बैंकिंग क्षेत्र पर व्यापक रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिसका बैंकों के परिचालन मानकों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

रिपोर्ट के अनुसार, विशेष रूप से बैंकिंग क्षेत्र के लिए यह सुधार सार्थक लागत दक्षता में तब्दील होगा क्योंकि अधिकांश प्रासंगिक दरों को कम कर दिया गया है।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम (पुनर्बीमा सहित) पर जीएसटी शून्य कर दिया गया है। जीएसटी हटाने से समग्र प्रीमियम में कमी आएगी और वहनीयता में सुधार होगा।

इससे दो तरह से मदद मिल सकती है मौजूदा परिवार स्वास्थ्य बीमा में बीमित राशि बढ़ा सकते हैं और नए खरीदारों को स्वास्थ्य और टर्म बीमा खरीदने के लिए आकर्षित कर सकते हैं।

--आईएएनएस

एसकेटी/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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