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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 6 सितंबर (आईएएनएस)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों के साथ, बैंकों को खुदरा, एमएसएमई और कृषि क्षेत्रों में क्रेडिट डिमांड में वृद्धि की उम्मीद है क्योंकि आय में वृद्धि और व्यावसायिक निवेश में तेजी आएगी।
इंडियन ओवरसीज बैंक के एमडी और सीईओ अजय कुमार श्रीवास्तव के अनुसार, इस सुधार का अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा, जिससे वितरकों और खुदरा विक्रेताओं के लिए नकदी प्रवाह में सुधार होगा, छोटे व्यवसायों के लिए कार्यशील पूंजी की बेहतर पहुंच होगी और बढ़ती मांग के बीच ऋण आवश्यकताओं में वृद्धि होगी।
श्रीवास्तव ने कहा, कुल मिलाकर, यह निर्णय समावेशी विकास और आर्थिक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा, जो भारत के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
यह कदम कराधान को अधिक पारदर्शी और अनुपालन में आसान बनाता है।
श्रीवास्तव के अनुसार, हमें उम्मीद है कि इन उपायों से ग्रामीण बाजारों में अगली दो तिमाहियों में खपत में 8-10 प्रतिशत से अधिक की अनुमानित वृद्धि होगी, खासकर कृषि उत्पादों की लागत में कमी के कारण किसानों को लाभ होगा, जहां जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
डेयरी उत्पादों, घरेलू वस्तुओं और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसी दैनिक आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में कटौती से उपभोक्ताओं को अधिक राहत मिलेगी और उनका बोझ कम होगा।
वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक्स और आवास सामग्री पर कम जीएसटी से इन क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी, जबकि बीमा पॉलिसियों को पूरी तरह से कर-मुक्त बनाने से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
केयरएज रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक संजय अग्रवाल के अनुसार, जीएसटी दरों में कटौती से वस्तुओं और सेवाओं की अंतिम कीमत में कमी आती है, जिससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ती है और विभिन्न क्षेत्रों में मांग को बढ़ावा मिल सकता है।
इसका प्रभाव आम तौर पर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेगमेंट में दिखाई देता है। ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरणों पर कम जीएसटी दरें न केवल इन उत्पादों को अधिक किफायती बनाती हैं, बल्कि मूल्य-संवेदनशील उपभोक्ताओं को शामिल करने के लिए लक्षित बाजार का विस्तार भी करती हैं, जो पहले कीमतों से वंचित थे।
उन्होंने कहा, बैंकों को ऑटो लोन और इलेक्ट्रॉनिक्स खरीद के लिए पर्सनल लोन में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
बैंकिंग ऋण में बकाया हाउसिंग लोन, व्हीकल लोन, क्रेडिट कार्ड और कंज्यूमर ड्यूरेबल का हिस्सा क्रमशः लगभग 16.7 प्रतिशत, 3.5 प्रतिशत, 1.6 प्रतिशत और 0.1 प्रतिशत है।
--आईएएनएस
एसकेटी/
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