इस वर्ष अप्रैल-जून तिमाही में जीएसटी संग्रह में दोहरे अंकों में दर्ज की गई वृद्धि : पंकज चौधरी

इस वर्ष अप्रैल-जून तिमाही में जीएसटी संग्रह में दोहरे अंकों में दर्ज की गई वृद्धि : पंकज चौधरी

इस वर्ष अप्रैल-जून तिमाही में जीएसटी संग्रह में दोहरे अंकों में दर्ज की गई वृद्धि : पंकज चौधरी

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IANS
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GST collection has clocked double digit growth in April-June quarter: Minister

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस) । वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को संसद को बताया कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में औसत मासिक शुद्ध जीएसटी संग्रह 10.7 प्रतिशत बढ़कर 1,80,774 करोड़ रुपए हो गया है, जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में औसत मासिक शुद्ध जीएसटी संग्रह 1,63,319 करोड़ रुपए था।

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राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्य मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर सरकार ने स्मॉल बिजनेस सेक्टर के लाभ के लिए कई उपाय किए हैं।

अगर छोटे और मध्यम उद्यम राज्य के भीतर कर योग्य वस्तुओं की आपूर्ति में शामिल हैं साथ ही उनका कुल कारोबार एक वित्त वर्ष में 40 लाख रुपए (कुछ विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 20 लाख रुपए) से अधिक नहीं है तो उन्हें जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करने की आवश्यकता से छूट दी जाती है।

इसी तरह, अगर किसी वित्त वर्ष में राज्य के भीतर या अंतर-राज्यीय कर योग्य सेवाओं की आपूर्ति में शामिल व्यक्तियों का कुल कारोबार 20 लाख रुपए (कुछ विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 10 लाख रुपए) से अधिक नहीं है तो उन्हें जीएसटी पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।

जीएसटी में कंपोजिशन लेवी योजना, कर लगाने की एक वैकल्पिक और सरल विधि है, जो छोटे और मध्यम करदाताओं के लिए डिजाइन की गई है, जिनका कारोबार निर्धारित सीमा तक है।

वस्तुओं के व्यापारियों और वस्तुओं के निर्माताओं द्वारा आपूर्ति पर 1 प्रतिशत (सीजीएसटी अधिनियम के तहत 0.5 प्रतिशत और संबंधित एसजीएसटी अधिनियम के तहत 0.5 प्रतिशत) की एक समान दर से कर देय है और रेस्टोरेंट द्वारा आपूर्ति पर प्रत्येक अधिनियम के तहत 2.5 प्रतिशत कर देय है।

पिछले वित्त वर्ष में 5 करोड़ रुपए तक के वार्षिक कारोबार वाले सभी पात्र पंजीकृत व्यक्ति कर के मासिक भुगतान के साथ तिमाही रिटर्न दाखिल करने का विकल्प चुन सकते हैं।

राज्य मंत्री ने आगे कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और इसके प्रभाव को कम करने के लिए राजकोषीय और व्यापार नीति सहित कई प्रशासनिक उपाय किए गए हैं।

इनमें आवश्यक खाद्य वस्तुओं के लिए बफर स्टॉक में वृद्धि और आपूर्ति बढ़ाने तथा कीमतों में कमी लाने के लिए ओपन मार्केट में खरीदे गए अनाज की रणनीतिक बिक्री शामिल है।

राज्य मंत्री ने बताया कि इसके अलावा, कम आपूर्ति की अवधि के दौरान आयात और निर्यात पर अंकुश लगाना और चुनिंदा वस्तुओं की अधिक सप्लाई बाजार में लाने के लिए स्टॉक लिमिट लागू करना, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदम हैं।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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