जीएसटी 2.0 सुधारों से डिफेंस, रिन्यूएबल एनर्जी और सोलर सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा : रिपोर्ट

जीएसटी 2.0 सुधारों से डिफेंस, रिन्यूएबल एनर्जी और सोलर सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा : रिपोर्ट

जीएसटी 2.0 सुधारों से डिफेंस, रिन्यूएबल एनर्जी और सोलर सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा : रिपोर्ट

author-image
IANS
New Update
GST 2.0 reforms to boost defence, renewables, solar sectors: Report

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पूंजीगत वस्तुओं से जुड़े सेगमेंट, जैसे डिफेंस, रिन्यूएबल एनर्जी और औद्योगिक मशीनरी, जीएसटी स्ट्रक्चर में हुए बदलाव से काफी लाभान्वित हो सकते हैं।

Advertisment

जापान स्थित ब्रोकिंग फर्म नोमुरा ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा चार-स्तरीय जीएसटी प्रणाली 22 सितंबर, 2025 से 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-दर संरचना को अपना लेगी।

ब्रोकिंग हाउस के अनुसार, रक्षा खरीद और स्वदेशी विनिर्माण, जो अप्रत्यक्ष कर संरचनाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं, जीएसटी दरों में संशोधन से लाभान्वित होंगे, जिससे महत्वपूर्ण इक्विप्मेंट, कंपोनेंट्स और सब-सिस्टम पर कर का बोझ काफी कम हो जाएगा।

उच्च मूल्य के आयात और महत्वपूर्ण पुर्जों को आईजीएसटी से छूट दिए जाने से बजट दक्षता में महत्वपूर्ण सुधार होगा।

सरकार ने ड्रोन सहित कई उच्च तकनीक वाले रक्षा आयातों पर जीएसटी की दर घटाकर पांच प्रतिशत कर दी है, जिससे लाइफसाइकल उपकरणों के खर्च पर दीर्घकालिक बचत होगी।

नोमुरा ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट से मिलने वाले इंटरनल रेट्स ऑफ रिटर्न को लाभ होगा क्योंकि उनके महत्वपूर्ण इनपुट और उपकरणों पर जीएसटी 12 प्रतिशत के स्लैब से घटकर पांच प्रतिशत के स्लैब में आ गया है।

ब्रोकरेज ने कहा, जीएसटी में यह कटौती जीवाश्म ईंधन के मुकाबले सोलर एनर्जी की प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ाती है, रूफटॉप सौर ऊर्जा को अपनाने में तेजी लाती है और 2030 के लिए भारत के रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्यों को समर्थन प्रदान करती है।

जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने से एमएसएमई को काफी राहत मिलेगी क्योंकि इससे कई क्षेत्रों में मशीनरी की लागत कम होगी और आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

स्पार्क या कम्प्रेशन इग्निशन इंजन, इंजन पंप, गैरेज के लिए ईंधन या लुब्रिकेंट पंप और अन्य संबंधित वस्तुओं पर जीएसटी की दर घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है। इस कदम से कृषि और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में एमएसएमई के लिए इनपुट लागत और उपकरण रखरखाव लागत में कमी आएगी।

ब्रोकिंग फर्म ने इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण क्षेत्र पर भी मिश्रित प्रभाव की सूचना दी है, क्योंकि किफायती आवास को कम सामग्री लागत का लाभ मिलता है, जबकि सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को अर्थवर्क-हेवी कॉन्ट्रैक्ट्स पर बढ़ी हुई जीएसटी दर के कारण अधिक लागत का सामना करना पड़ सकता है।

--आईएएनएस

एसकेटी/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment