मतलब परस्त नेताओं का बांग्लादेश की सत्ता पर कब्जा, कोर्ट के जरिए प्रतिद्वंदियों को हटाया: शेख हसीना (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

मतलब परस्त नेताओं का बांग्लादेश की सत्ता पर कब्जा, कोर्ट के जरिए प्रतिद्वंदियों को हटाया: शेख हसीना (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

मतलब परस्त नेताओं का बांग्लादेश की सत्ता पर कब्जा, कोर्ट के जरिए प्रतिद्वंदियों को हटाया: शेख हसीना (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

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IANS
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Grateful to PM Modi for his support during crisis: Sheikh Hasina (IANS exclusive)

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि एक छोटे मतलबपरस्त समूह ने सत्ता की डोर अपने हाथ में खींच रखी है। ये वही हैं जो अदालत के जरिए अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को हटाने का कुचक्र रच रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों का भी आभार जताया जिन्होंने संकट की घड़ी में उनका पूरा साथ निभाया।

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आईएएनएस के पूछे गए सवालों का शेख हसीना ने ईमेल के जरिए जवाब दिया। उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के फैसले को पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित बताया। अपदस्थ पीएम ने चुनाव सुधार, बाहरी देशों के बढ़ते दखल और अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने को लेकर खुलकर अपने विचार रखे।

आईएएनएस: आप बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए हमारे प्रधानमंत्री की भूमिका को कैसे आंकती हैं?

शेख हसीना: भारत बांग्लादेश का महत्वपूर्ण पड़ोसी और पार्टनर है। मैं प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन और दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों की कद्र करती हूं। व्यक्तिगत और कूटनीतिक स्तर पर, मैं संकटकाल में मिली शरण के लिए आभारी हूं। भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध बांग्लादेश के हित में हैं और वे स्थायी क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।

आईएएनएस: संकट के समय पीएम मोदी ने आपकी मदद कैसे की?

शेख हसीना: मैं निजी बातचीत और रिश्तों के बारे में बात नहीं करना चाहती। हालांकि, मैं यह कहूंगी कि भारत के लोगों की लगातार मदद के लिए उनकी आभारी हूं।

आईएएनएस: आपने आईसीटी के फैसले को पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित बताया। क्यों?

शेख हसीना: ये आरोप एक कंगारू कोर्ट ने लगाए हैं, जिसे मेरे राजनीतिक विरोधियों का एक गुट नियंत्रित करता है। ये वो लोग हैं जिन्होंने गैर-लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता हथिया ली है। मतलब परस्त और अलोकतांत्रिक तरीके से चुने गए नेताओं के एक छोटे से गुट ने सरकार पर कब्जा जमा रखा है जो अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी को हटाने के लिए अदालत का सहारा ले रहा है।

दुनिया भर के कई जाने-माने और कानूनी जानकारों ने यही राय दी है। मुझे ट्रायल में सही कानूनी मदद नहीं दी गई, न ही मेरे खिलाफ पेश किए गए सबूतों को चुनौती देने का मौका दिया गया। वो साक्ष्य बेहद कमजोर और भरोसे लायक भी नहीं थे। दरअसल, पूरी प्रक्रिया पहले से तय फैसला सुनाने के लिए बनाया गया एक कानूनी नाटक थी।

आईएएनएस: क्या आपको लगता है कि मोहम्मद यूनुस उन विदेशी ताकतों से मिल गए हैं जो बांग्लादेश के लिए ठीक नहीं हैं?

शेख हसीना: मैं ज्यादा अंदाजे नहीं लगाना चाहूंगी, लेकिन हमारे देश के मामलों में बाहरी दखल के परेशान करने वाले संकेत मिल रहे हैं। मैंने बार-बार विदेशी दखल के खिलाफ चेतावनी दी है। ये ताकतें घरेलू मतभेदों का फायदा उठाना बखूबी जानती हैं। जो भी आरोप लगाए जाते हैं, उनकी पारदर्शी तरीके से जांच की जानी चाहिए। बांग्लादेश को अपनी समस्याओं को अपने संस्थानों और बिना किसी बाहरी दखल के अपनी इच्छाशक्ति के बूते सुलझाने की आजादी होनी चाहिए।

आईएएनएस: क्या आपको लगता है कि बांग्लादेश के आगामी चुनावों को मौजूदा सरकार ने पहले ही मैनेज कर लिया है?

शेख हसीना: आजाद, निष्पक्ष और लोगों की भागीदारी वाले चुनाव ही सही सरकार की नींव हैं। अगर अंतरिम अधिकारी सबको बराबर मौका देने की बजाय नतीजों को मैनेज करना चाहते हैं, तो यह हमारे लोकतंत्र पर हमला होगा। मैं स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों, स्पष्ट चुनावी टाइमटेबल और इस बात की गारंटी की मांग करती हूं कि सभी पार्टियां और उम्मीदवार बिना किसी खौफ के अपने चुनावी अभियान चला सकेंगे।

हालांकि, अवामी लीग पर बैन लगाने के कारण ये सभी सिफारिशें बेकार हो जाएंगी क्योंकि हमारे लाखों समर्थक शायद घर पर ही रहेंगे। आप देश के सबसे लोकप्रिय दल पर बैन नहीं लगा सकते और उसे आजाद और निष्पक्ष बताकर पेश नहीं कर सकते।

आईएएनएस: क्या आपकी पार्टी चुनावों में हिस्सा लेगी या उनका बायकॉट करेगी?

शेख हसीना: फिलहाल तो मेरी पार्टी पर अगले साल के चुनावों में हिस्सा लेने पर बैन है। यह बायकॉट नहीं है; यह लाखों वोटरों को उनके वोट के अधिकार से वंचित करना है। अगर चुनाव होने पर भी ऐसा ही होता है, तो आप शायद देखेंगे कि हमारे समर्थक एक दोषपूर्ण चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने की बजाय बस घर पर ही रहेंगे।

आईएएनएस: कुछ लोग दावा करते हैं कि बांग्लादेश में धार्मिक और राजनीतिक ज़ुल्म सारी हदें पार कर गया है, क्या ऐसा है?

शेख हसीना: धर्म या राजनीति के आधार पर कोई भी जुल्म मंजूर नहीं है। मैं हर तरह की हिंसा और जुल्म के खिलाफ हूं। मेरे नेतृत्व में, हमने नागरिक अधिकारों की रक्षा करते हुए कानून और व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश की। अगर जुल्म हुए हैं, तो उनकी जांच होनी चाहिए और निष्पक्ष कानूनी प्रक्रियाओं के जरिए व्यक्तिगत गलती साबित होनी चाहिए।

आईएएनएस: खालिदा जिया की हालत गंभीर है, और बांग्लादेश ने अस्पताल में उनकी सुरक्षा के लिए एक पुलिस बल तैनात किया है। आप उन्हें कैसे याद करना चाहेंगी?

शेख हसीना: मुझे बेगम खालिदा जिया की फिक्र है, और मैं दुआ करूंगी कि वह ठीक हो जाएं।

आईएएनएस: आपकी बहन की बेटी, यूके की सांसद ट्यूलिप सिद्दीक को जमीन सौदे के एक मामले में सजा सुनाई गई; वो उस समय वहां मौजूद भी नहीं थीं। आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

शेख हसीना: गैरहाजिरी में मुकदमा और एक ब्रिटिश सांसद को दोषी ठहराना सही प्रक्रिया और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। मेरे परिवार वालों ने हमेशा गलत काम करने से इनकार किया है। मेरा मानना है कि न्याय किसी भी बंधन से मुक्त, पारदर्शी और अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से होना चाहिए। यूनुस इन केसों का इस्तेमाल अपनी सरकार की कमियों से ध्यान भटकाने और एक ऐसे राजनीतिक दल को दबाने के लिए कर रहे हैं जिसे आजादी के बाद नौ बार चुनावों में जीत हासिल हुई।

यह फैसला सिर्फ यूनुस और उनके कट्टरपंथियों और मौकापरस्तों के गठबंधन के राजनीतिक फायदों को पूरा करता है। यह निश्चित रूप से बांग्लादेश के पक्ष में तो नहीं है, खासकर इसलिए क्योंकि इससे यूके के साथ हमारे कूटनीतिक रिश्तों पर असर पड़ेगा, जो हमारा एक जरूरी ट्रेडिंग और डेवलपमेंट पार्टनर है।

इस कार्रवाई से निश्चित तौर पर बांग्लादेश में भरोसा दरका है और तय है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता जताई जा रही है।

आईएएनएस: बांग्लादेश गंभीर आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। आपके हिसाब से, इसके क्या कारण हैं?

शेख हसीना: बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के दीर्घ अवधि के आधार मजबूत बने हुए हैं, लेकिन लघु अवधि के उथल-पुथल ने वृद्धि दर, निवेशक के भरोसे और भंडार को साफ तौर पर प्रभावित किया है। आलोचक भी इस बात से सहमत होंगे कि हमने बांग्लादेश में एक आर्थिक चमत्कार किया, जिस पर मुझे बहुत गर्व है। स्थिरता वापस लाना, निवेशकों का भरोसा फिर से बनाना, और भरोसेमंद राजकोषीय और संरचनात्मक सुधारों पर तेजी से आगे बढ़ना अब प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि यह पक्का हो सके कि सारी प्रगति बेकार न हो जाए। आईएमएफ और स्वतंत्र विश्लेषक पहले ही धीमी ग्रोथ और बढ़ी हुई महंगाई की ओर इशारा कर चुके हैं, जिससे हमारे देश के सबसे कमजोर लोगों को जरूर नुकसान होगा।

आईएएनएस: क्या आपके जाने के बाद पाकिस्तान बांग्लादेश के संस्थानों और जरूरी संसाधनों पर कब्जा कर रहा है?

शेख हसीना: पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते रखना बांग्लादेश के राष्ट्रीय हित में है, लेकिन यह सोच-समझकर और संतुलित होना चाहिए। हम इस बिना चुनी हुई सरकार को पाकिस्तान के साथ और गहरे रिश्तों की ओर बिना सोचे-समझे तेजी से आगे बढ़ने की इजाजत नहीं दे सकते। बांग्लादेश को अपनी संप्रभुता की रक्षा करनी चाहिए और लगातार स्थिरता बनाए रखने के लिए इस इलाके में अपनी अहम भूमिका को याद रखना चाहिए।

आईएएनएस: ऐसी अफवाहें हैं कि आपको हटाने के पीछे किसी विदेशी हाथ—खासकर यूनाइटेड स्टेट्स—का हाथ था। आपका क्या जवाब है?

शेख हसीना: यूनाइटेड स्टेट्स ने सार्वजनिक तौर पर इसमें शामिल होने से इनकार किया है, और अब तक, पब्लिक डोमेन में इसका खंडन करने वाला कोई पक्का सबूत पेश नहीं किया गया है। बिना सबूत के आरोप लगाने से स्थिरता, जवाबदेही और राष्ट्रीय एकता बहाल करने के असली काम से ध्यान भटकने का खतरा होता है।

--आईएएनएस

केआर/

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