भारत ने हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने में किया बढ़िया काम, जेनेरिक दवाइयों से मिला लाभ: डब्ल्यूएचओ

भारत ने हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने में किया बढ़िया काम, जेनेरिक दवाइयों से मिला लाभ: डब्ल्यूएचओ

भारत ने हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने में किया बढ़िया काम, जेनेरिक दवाइयों से मिला लाभ: डब्ल्यूएचओ

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IANS
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Generic medicines, price ceilings led to better hypertension control in India: WHO

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को कहा कि मुफ्त दवा वितरण, जेनेरिक दवाओं के उपयोग और मूल्य नियंत्रण से भारत में उच्च रक्तचाप (हृदय रोग का सबसे बड़ा रिस्क) पर बेहतर नियंत्रण संभव हुआ है। उन्होंने रक्तचाप से निपटने के लिए देश के प्रयासों की सराहना की।

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हाइपरटेंशन पर अपनी वैश्विक रिपोर्ट 2025 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाइपरटेंशन की दवाओं के सफल मूल्य निर्धारण के लिए भारत का उदाहरण दिया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा, हाइपरटेंशन में सुधार के लिए भारत के व्यापक दृष्टिकोण, जिसमें राष्ट्रीय निःशुल्क औषधि सेवा पहल, जेनेरिक दवाओं के उपयोग को बढ़ावा देना और आवश्यक उच्च रक्तचाप रोधी दवाओं पर मूल्य सीमा लागू करना शामिल है, ने जन स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार किया है और रक्तचाप नियंत्रण दर में सुधार किया है।

2018-2019 में शुरू की गई, सरकार की इंडिया हाइपरटेंशन कंट्रोल इनिशिएटिव (आईएचसीआई) ने सार्वजनिक क्षेत्र के क्लीनिकों में निःशुल्क, गुणवत्ता-सुनिश्चित जेनेरिक उच्च रक्तचाप रोधी दवाओं की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित की। इसे सरल, प्रोटोकॉल-आधारित उपचार पद्धतियों और मजबूत दवा खरीद प्रणालियों का भी समर्थन प्राप्त था।

इसके अलावा, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश और आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची के अंतर्गत उच्च रक्तचाप रोधी दवाओं सहित आवश्यक दवाओं के लिए मूल्य सीमा भी निर्धारित की।

एनपीपीए ने इन अधिकतम मूल्यों की गणना औसत बाजार मूल्यों के आधार पर की, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि दवाएं सस्ती रहें और निर्माताओं को उचित लाभ मार्जिन भी मिले।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दृष्टिकोण ने मरीजों के लिए जेब से होने वाले खर्च को कम रखा और इस प्रकार सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को सस्ती, गुणवत्ता-सुनिश्चित जेनेरिक दवाओं की विश्वसनीय आपूर्ति प्रदान करने में सक्षम बनाया।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अध्ययनों से संकेत मिलता है कि जब उच्च रक्तचाप की दवाएं सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यमों या जन-औषधि जेनेरिक दवा दुकानों के माध्यम से खरीदी और वितरित की जाती हैं, तो प्रति मरीज वार्षिक लागत निजी क्षेत्र की तुलना में 80 प्रतिशत तक कम हो सकती है, जिससे लोगों को फायदा होता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सुधारों के शुरू होने से पहले, भारत में उच्च रक्तचाप नियंत्रण दर कम थी। लगभग 14 प्रतिशत वयस्कों ने रक्तचाप को कंट्रोल किया।

डब्ल्यूएचओ ने कहा, पंजाब और महाराष्ट्र के हालिया कार्यक्रम के आंकड़े बताते हैं कि प्रोटोकॉल के अनुसार जिन मरीजों का इलाज किया गया, देखा गया कि फॉलो अप के दौरान उनकी रक्तचाप नियंत्रण दर 70-81 प्रतिशत तक बढ़ गई, जिसमें औसत सिस्टोलिक रक्तचाप में 15-16 एमएम एचजी की कमी आई।

वैश्विक स्वास्थ्य संस्था ने कहा, ये सुधार दर्शाते हैं कि सस्ती और सुलभ उच्च रक्तचाप रोधी दवाओं में सार्वजनिक निवेश न केवल नैदानिक ​​परिणामों को बेहतर बनाता है बल्कि इसकी वजह से होने वाली बीमारियों (हृदय रोग, स्ट्रोक्स) के बाद होने वाले खर्चे के बोझ को भी कम करता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि 2024 में 1.4 अरब लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे, फिर भी पांच में से केवल एक ही व्यक्ति इसे दवा या अन्य तरीकों से नियंत्रित कर पाया।

195 देशों और क्षेत्रों के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि उनमें से 99 देशों में राष्ट्रीय उच्च रक्तचाप नियंत्रण दर 20 प्रतिशत से कम है। केवल 28 प्रतिशत निम्न-आय वाले देशों ने बताया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित सभी उच्च रक्तचाप की दवाएं आम तौर पर फार्मेसियों या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध हैं।

--आईएएनएस

केआर/

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