पटना, 23 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार में गंगा नदी एक बार फिर रौद्र रूप धारण कर चुकी है, जिससे लाखों लोगों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। बक्सर से लेकर भागलपुर जिले के कहलगांव तक गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
नदी के खतरे के निशान को पार करने के बाद फरक्का बैराज के सभी 108 गेट खोल दिए गए हैं। मंगलवार शाम तक, पटना में नदी का जलस्तर फरक्का जलस्तर से 43 सेंटीमीटर और खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर दर्ज किया गया, जिससे तटबंधों पर अत्यधिक दबाव बढ़ गया है।
जल संसाधन विभाग ने कमजोर तटबंधों की चौबीसों घंटे निगरानी के लिए 600 कर्मियों को तैनात किया है। 45 से अधिक इंजीनियर तटबंधों में दरार को रोकने के लिए रात्रि गश्त कर रहे हैं।
दस जिले - बक्सर, भोजपुर, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, मुंगेर, बेगूसराय, कटिहार, भागलपुर और खगड़िया में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
नेपाल में भारी बारिश के कारण उत्तर बिहार में कोसी और बूढ़ी गंडक नदियां उफान पर हैं। बूढ़ी गंडक खगड़िया में खतरे के निशान से 41 सेंटीमीटर ऊपर है। कोसी सुपौल और सहरसा में यह लाल निशान को पार कर गई है।
नेपाल में भारी बारिश के कारण जलस्तर बढ़ गया है और कोसी बैराज से 1,10,845 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। महानंदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसका असर पूर्वी बिहार और सीमांचल क्षेत्र पर पड़ रहा है।
भागलपुर के सबौर, कहलगांव और पीरपैंती में गंगा का कटाव कृषि भूमि को निगल रहा है, जबकि मुंगेर के बरियारपुर के गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। कहलगांव में गंगा खतरे के निशान से 26 सेमी ऊपर है।
गंगा, कोसी, बूढ़ी गंडक और महानंदा के अलावा, गंडक, पुनपुन, सोन, फल्गु और दरधा नदियां भी कई स्थानों पर खतरे के निशान को पार कर गई हैं।
पिछले 7 दिनों से हो रही लगातार बारिश ने बिहार की सीविक एजेंसियों की पोल खोलकर रख दी है। किशनगंज के लोहागढ़ा में नाबार्ड योजना के तहत एक उच्च-स्तरीय पुल का पहुंच मार्ग ढह गया है। फारबिसगंज में सीताधार पुल डूब गया है, जिससे राजमार्ग यातायात बाधित हो गया है। बिहार अब दोहरे संकट का सामना कर रहा है।
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है, और निचले इलाकों के निवासियों से सतर्क रहने का आग्रह किया है।
--आईएएनएस
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