जैश, लश्कर और हिजबुल पर पाकिस्तानी सेना का होगा डायरेक्ट कंट्रोल, अब आर्मी देगी आतंकवादियों को ट्रेनिंग

जैश, लश्कर और हिजबुल पर पाकिस्तानी सेना का होगा डायरेक्ट कंट्रोल, अब आर्मी देगी आतंकवादियों को ट्रेनिंग

जैश, लश्कर और हिजबुल पर पाकिस्तानी सेना का होगा डायरेक्ट कंट्रोल, अब आर्मी देगी आतंकवादियों को ट्रेनिंग

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IANS
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Abandoned by the West, Pakistan Army wants Gulf countries to start corporate farming in Pak

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तबाह हुए आतंकियों के ठिकानों को एक बार सक्रिय करने के लिए पाकिस्तान ने पूरी ताकत झोंक दी है। इसका पूरा ध्यान जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन पर है। तीनों आतंकी समूहों के संचालन को बेहतर करने के लिए अब पाकिस्तानी सेना इसके नए रिक्रूट को ट्रेनिंग देगी।

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जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के नए सदस्यों को प्रशिक्षित करने के लिए पाकिस्तानी सेना ने अपने अधिकारियों को तैनात करने का फैसला किया है। इससे पहले पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रशिक्षित कमांडर ही आतंकी शिविरों के संचालन की देखरेख करते थे।

अब इन आतंकी समूहों के सभी प्रशिक्षण शिविरों का नेतृत्व एक मेजर रैंक का अधिकारी करेगा। इसके अलावा, इन सभी शिविरों को पाकिस्तानी सेना द्वारा सुरक्षा भी मुहैया कराई जाएगी।

इन शिविरों के हर ऑपरेशन पर पाकिस्तानी सेना की सीधी निगरानी होगी। इसके अलावा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई तकनीकी सहायता भी सुनिश्चित कर रही है। इन सभी आतंकी शिविरों में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

आईएसआई यह सुनिश्चित कर रही है कि नए शिविर पारंपरिक हथियारों की बजाय उच्च तकनीक वाले आधुनिक हथियारों से लैस हों। आईएसआई इन आतंकी समूहों को उच्च तकनीक वाली ड्रोन तकनीक से भी लैस कर रही है।

इसके अलावा, ये आतंकी समूह डिजिटल युद्ध के साधनों का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करेंगे। पाकिस्तानी सेना के अधिकारी आतंकवादियों की भर्ती से लेकर प्रशिक्षण तक, हर ऑपरेशन की सीधी निगरानी कर रहे हैं और इन आतंकी समूहों को ऐसे हथियार मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है जिन्हें सीधे भारत पर दागा जा सके।

भविष्य में इन आतंकी समूहों की व्यवस्था में एक बड़े बदलाव का संकेत है। अधिकारियों का कहना है कि इस बदलाव के कई कारण हैं।

पहला, आईएसआई नहीं चाहती कि किसी भारतीय अभियान के दौरान इन शिविरों पर फिर से हमला हो। दूसरा, पाकिस्तान चाहता है कि उसके आतंकी समूहों के पास अपने ही देश से भारत पर हमला करने की क्षमता हो।

तीसरा, वह भारतीय सेना का ध्यान इन आतंकी समूहों से भटकाए रखना चाहता है ताकि पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान नेशनलिस्ट आर्मी (बीएलए) और तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) से आसानी से निपट सके।

बलूचिस्तान में सुरक्षा के मामले में पाकिस्तान ने अमेरिका और चीन, दोनों के साथ जो मौजूदा प्रतिबद्धताएं की हैं, उन्हें देखते हुए वह भारतीय सेना के साथ बातचीत करने के बजाय टीटीपी और बीएलए पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना चाहेगा।

अमेरिका के साथ खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले पाकिस्तान पर बलूचिस्तान की सुरक्षा का दबाव है। पाकिस्तान ने चीन से यह भी वादा किया है कि वह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना 2.0 (सीपीईसी) की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए उसे टीटीपी और बीएलए, दोनों पर लगाम लगानी होगी।

पाकिस्तानी सेना जिस स्थिति में है और उसका नेतृत्व चीन और अमेरिका के साथ अपने संबंधों को लेकर लगातार शोर मचा रहा है, उसे देखते हुए, उसके पास अपनी सुरक्षा गारंटी से पीछे हटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

अमेरिका के साथ खनिज समझौता गिरती अर्थव्यवस्था के कारण पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा, चीन ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि अगर वह सीपीईसी 2.0 परियोजना का हिस्सा बनना चाहता है तो उसे इसके लिए धन जुटाना होगा। इससे पाकिस्तान मुश्किल में पड़ गया है क्योंकि अब उसे धन जुटाना होगा और साथ ही परियोजना की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी होगी।

चीन ने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी, क्योंकि वह सीपीईसी-1 के दौरान चीनी हितों की रक्षा करने में बुरी तरह विफल रहा था।

इसे देखते हुए, पाकिस्तानी सेना अपने तीन आतंकवादी समूहों में भारी निवेश कर रही है। वह खाड़ी देशों में रहने वाले लोगों से बड़ी मात्रा में चंदा मांग रही है।

भारत पर सीधे हमला करने में सक्षम अत्याधुनिक हथियारों से इन आतंकवादी समूहों का आधुनिकीकरण करने के लिए आईएसआई ने प्रत्येक आतंकवादी समूह पर सालाना कम से कम 100 करोड़ रुपये का निवेश करने का फैसला किया है।

पाकिस्तानी सेना के आतंकी ठिकानों की हर गतिविधि को सीधे नियंत्रण में लेने इन समूहों के प्रमुखों की भूमिका सीमित होगी, जिसका इस्तेमाल युवाओं का ब्रेनवॉश करने और उन्हें और कट्टरपंथी बनाने में किया जाएगा ताकि उन्हें आतंकवादी संगठनों में शामिल किया जा सके

--आईएएनएस

कनक/वीसी

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