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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
मुंबई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने इक्विटी से पिछले हफ्ते 16,422 करोड़ रुपए की निकासी की है। इसकी वजह अधिक वैल्यूएशन, अमेरिका की ओर से एच-1बी वीजा पर नीतिगत परिवर्तन करना है। यह जानकारी रविवार को एनालिस्ट की ओर से दी गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से बीते हफ्ते दो महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई थीं, जिसमें नए एच-1बी वीजा आवेदनों के लिए 1,00,000 डॉलर की फीस और ब्रांडेड दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ शामिल है।
विदेशी निवेशकों की निरंतर निकासी के कारण बेंचमार्क सूचकांकों में सात महीनों में सबसे तेज साप्ताहिक गिरावट देखी गई।
एनालिस्ट ने बताया कि इसकी वजह एफपीआई की बिकवाली के साथ, वैश्विक अनिश्चितता और कुछ सेक्टर का खराब प्रदर्शन था।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पिछले एक साल में भारत से 21 अरब डॉलर निकाले हैं, जो इस अवधि में उभरते बाजारों में सबसे बड़ी निकासी है।
उन्होंने कहा, इस एफपीआई आउटफ्लो ने डॉलर के मुकाबले रुपए में 3.5 प्रतिशत की गिरावट में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अन्य बाजारों की तुलना में भारत में उच्च मूल्यांकन और धीमी आय वृद्धि एफपीआई की निकासी के प्रमुख कारण हैं।
2025 के पहले तीन महीनों में एफपीआई विक्रेता थे और अगले तीन महीनों में वे खरीदार बन गए। जुलाई, अगस्त और सितंबर में अब तक वे फिर से विक्रेता बन गए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं के मूल्यवृद्धि के विपरीत, भारतीय रुपए के मूल्यह्रास ने दबाव को और बढ़ा दिया है।
एनालिस्ट ने कहा कि रिकॉर्ड ऑटोमोबाइल बुकिंग, कम जीएसटी दरें और सस्ता ऑटोमोटिव लोन बाजार में सुधार को बढ़ावा दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इससे आय में बेहतर वृद्धि होगी और रुपए में और गिरावट की संभावना नहीं है।
विजयकुमार ने कहा, यह मान लेना सही होगा कि हम एफपीआई निकासी के निम्नतम स्तर के करीब हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भारत में आय वृद्धि वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही से बढ़ने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2027 में गति पकड़ेगी।
--आईएएनएस
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