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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
काठमांडू, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शनिवार को सितंबर 2025 में हुए जेन-जी प्रदर्शनों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने शांतिपूर्ण शुरू हुए इन प्रदर्शनों में घुसपैठ की बात कही और भारी तबाही को षड्यंत्र का हिस्सा बताया।
सितंबर 2025 में नेपाल में सोशल मीडिया बैन से शुरू हुए युवाओं के प्रदर्शनों ने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया था। ये प्रदर्शन हिंसक हो गए थे और इसकी जद में संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय (सिंघा दरबार) और कई नेताओं के घर आ गए थे। 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी जबकि हजारों घायल हो गए थे।
इससे नेपाल सरकार को आर्थिक नुकसान भी हुआ था। 84.45 बिलियन नेपाली रुपए से ज्यादा की संपत्ति खाक हो गई थी। 9 सितंबर को ओली ने इस्तीफा दे दिया था फिर अंतरिम पीएम सुशीला कार्की बनीं।
सीपीएन (यूएमएल) के 11वें सम्मेलन को संबोधित करते हुए ओली ने सवाल किया, क्या 9 सितंबर की हलचल सिर्फ एक असंतुष्ट ग्रुप के विरोध का नतीजा थी, या इसकी आड़ में कोई बहुत बड़ा खेल खेला जा रहा था? क्या इसका मकसद सिर्फ सरकार बदलना था, या देश की रीढ़ की हड्डी तोड़ने की कोई छिपी हुई साजिश थी? उन्होंने कहा, कोई कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए - अगर मकसद सिर्फ सरकार बदलना होता, तो देश को राख में नहीं बदला जाता।
उन्होंने माना कि सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना एक गंभीर साजिश का हिस्सा था, इसे समय के साथ तैयार किया गया था, ताकि संविधान, संवैधानिक प्रक्रियाओं और सात दशकों के संघर्ष से हासिल लोकतंत्र को खत्म किया जा सके - जिससे एक खालीपन, अस्थिरता और सरकार को कोई अस्तित्व न बचे।
सोशल मीडिया बैन और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के खिलाफ 8 सितंबर को विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, लेकिन पुलिस की कार्रवाई के बीच वे बेकाबू हो गए, जिससे पहले ही दिन 20 लोगों की मौत हो गई थी।
हालांकि, ओली ने कहा कि जेन-जी और युवाओं की मांगों को लेकर कोई असहमत नहीं था बस हम नियंत्रण की बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा, हमारा मकसद सोशल मीडिया को बंद करना नहीं था, बल्कि राष्ट्रीय और नागरिक सुरक्षा के लिए कानून के दायरे में इसे नियंत्रित करना था।
ओली ने आरोप लगाया कि इन विरोध प्रदर्शनों में कुछ ऐसे समूह शामिल हो गए जिनकी कोई आवश्यकता नहीं थी। पूर्व पीएम के अनुसार यही घुसपैठ के दोषी थे, इन्होंने हिंसा भड़काई, प्रतिबंधित क्षेत्रों में घुसने के लिए उकसाया, आगजनी की, संसद में तोड़फोड़ की, और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे युवाओं का अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए फायदा उठाया - जिससे एक अकल्पनीय त्रासदी हुई जिसमें कई युवाओं की जान चली गई।
ओली ने यह भी दोहराया कि मौजूदा सरकार असंवैधानिक रूप से बनी थी और संसद के निचले सदन, प्रतिनिधि सभा को असंवैधानिक रूप से भंग कर दिया गया था। उन्होंने इसे बहाल करने की अपनी मांग दोहराई। पिछली सरकार में गठबंधन सहयोगी रहे यूएमएल और नेपाली कांग्रेस दोनों के नेताओं ने प्रतिनिधि सभा को बहाल करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग रिट याचिकाएं दायर की हैं।
राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने 12 सितंबर को प्रधानमंत्री कार्की की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था। अगले साल 5 मार्च को नए चुनाव की तारीख तय की गई है।
हालांकि, ओली ने मौजूदा सरकार के तय समय पर चुनाव कराने के इरादे पर सवाल उठाया, यह कहते हुए कि कोई भी स्पष्ट तैयारी नहीं की गई है।
ओली ने पूछा, सरकार को 5 मार्च को चुनाव कराने का जनादेश है - लेकिन क्या कोई तैयारी है? अगर सरकार चुनाव कराने को लेकर गंभीर होती, तो वह विश्वास बनाती, पारदर्शिता सुनिश्चित करती, सभाओं की अनुमति देती, पार्टी गतिविधियों को प्रोत्साहित करती, और एक निडर माहौल बनाती। इसके बजाय, हम प्रतिबंध, बहस के बजाय मामले, और प्रतिस्पर्धा के बजाय धमकियां देखते हैं।
महासम्मेलन पार्टी के नए नेतृत्व का भी चुनाव करेगा। ओली और पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, ईश्वर पोखरेल, पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने इस पद के लिए पोखरेल का समर्थन किया है।
--आईएएनएस
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