चीन के 'विक्ट्री डे' परेड में सबसे बड़ी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन, जिनपिंग ने 'वैश्विक शांति' का किया आह्वान

चीन के 'विक्ट्री डे' परेड में सबसे बड़ी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन, जिनपिंग ने 'वैश्विक शांति' का किया आह्वान

चीन के 'विक्ट्री डे' परेड में सबसे बड़ी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन, जिनपिंग ने 'वैश्विक शांति' का किया आह्वान

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IANS
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For first time, China unveils advanced weaponry at WW2 victory parade; Xi calls for global peace

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

बीजिंग, 3 सितंबर (आईएएनएस)। द्वितीय विश्व युद्ध में चीन ने जीत की 80वीं वर्षगांठ पर विक्ट्री डे परेड के बहाने अपना सबसे बड़ा सैन्य शक्ति प्रदर्शन किया है। चीन ने हाइपरसोनिक मिसाइलों, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों और मानवरहित लड़ाकू प्लेटफार्मों समेत अपनी सबसे उन्नत सैन्य तकनीक को सार्वजनिक तौर पर दिखाते हुए सैन्य परेड निकाली। इसमें 10 हजार से अधिक सैन्यकर्मी, 100 से अधिक विमान के साथ ही सैकड़ों टैंक और बख्तरबंद वाहन थे।

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चीन के तियानमेन में आयोजित इस कार्यक्रम में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने हिस्सा लिया। इसके अलावा, ईरान, मलेशिया, पाकिस्तान, नेपाल, मालदीव, म्यांमार, इंडोनेशिया, मंगोलिया, जिम्बाब्वे और मध्य एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी मौजूद रहे।

राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में परेड हुई। वैश्विक तनाव के बीच विक्ट्री डे परेड के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शांति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का संदेश दिया। अपने मुख्य भाषण में शी जिनपिंग ने कहा कि यह विजय आधुनिक काल में विदेशी आक्रमण के खिलाफ चीन की पहली पूर्ण जीत थी।

जिनपिंग ने कहा, मानव सभ्यता के उद्धार और विश्व शांति की रक्षा में चीनी लोगों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने राष्ट्रों से युद्ध के मूल कारणों को समाप्त करने और ऐतिहासिक त्रासदियों की पुनरावृत्ति को रोकने का आग्रह किया।

उन्होंने यह भी कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को चीन के कायाकल्प और आधुनिकीकरण के लिए रणनीतिक समर्थन देना चाहिए, ताकि देश 2035 तक एक पूरी तरह आधुनिक समाजवादी राष्ट्र बन सके।

यह 2015 के बाद सिर्फ दूसरी बार था, जब चीन ने इस पैमाने पर विक्ट्री डे पर परेड आयोजित की। परेड स्थल पर ग्रेट वॉल जैसी विशाल संरचनाएं लगाई गई थीं, जो युद्धकाल के दौरान चीनी धैर्य और संघर्ष का प्रतीक थीं। हेलीकॉप्टरों से न्याय की जीत, शांति की जीत और जनता की जीत लिखे बैनर लहराए गए, जबकि सैनिकों ने सटीक मार्च पास्ट किया। दर्शकों और युद्ध के दिग्गजों ने युद्धकाल की ऐतिहासिक सैन्य इकाइयों को समर्पित 80 स्मृति ध्वजों को भी देखा।

चीन का प्रतिरोध 1931 में शुरू हुआ था, जो मित्र राष्ट्रों में सबसे प्रारंभिक और लंबे समय तक चलने वाला था। चीन ने जापान की आधे से अधिक विदेशी सेना को घेर लिया और 3.5 करोड़ हताहत हुए, जो द्वितीय विश्व युद्ध में हुए कुल वैश्विक नुकसान का लगभग एक तिहाई था।

कार्यक्रम में उन देशों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने युद्ध के दौरान चीन का समर्थन किया था, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और कनाडा शामिल हैं।

इस परेड में पहली बार संयुक्त राष्ट्र के तहत सेवा देने वाले चीनी शांति सैनिकों को भी शामिल किया गया, जो चीन की वैश्विक रक्षा भूमिका में बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। कांगो में सेवा दे चुके एक सैनिक ने कहा, हम पूर्वजों के खून से हासिल की गई शांति की रक्षा करने की क्षमता रखते हैं।

--आईएएनएस

डीसीएच/एबीएम

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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