भारत में एफएमसीजी, आईटी और ऑटो वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से लगातार हाई-रिटर्न इक्विटी सेक्टर बने हुए

भारत में एफएमसीजी, आईटी और ऑटो वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से लगातार हाई-रिटर्न इक्विटी सेक्टर बने हुए

भारत में एफएमसीजी, आईटी और ऑटो वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से लगातार हाई-रिटर्न इक्विटी सेक्टर बने हुए

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IANS
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FMCG, IT and Automobile are among consistent high ROE sectors since global financial crisis: Report

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एफएमसीजी, आईटी, ऑटो, ऑयल एंड गैस और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स उन सेक्टर्स में से हैं, जो वर्ष 2009 से लगातार इक्विटी पर हाई रिटर्न दे रहे हैं। यह जानकारी शुक्रवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।

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एफएमसीजी, आईटी, ऑयल एंड गैस और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का एक हाई-आरओई समूह, बाजार पूंजीकरण का एक तिहाई से अधिक हिस्सा बनाता है और बाकी की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक आरओई अर्जित करता है।

डीएसपी म्यूचुअल फंड ने एक रिपोर्ट में कहा है कि एफएमसीजी शेयरों ने 35.5 प्रतिशत का औसत आरओई दर्ज किया है और 2008-2009 के आसपास वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से, इस क्षेत्र का आरओई 45.4 प्रतिशत रहा है।

वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से 28.6 प्रतिशत के साथ आईटी, 22.8 प्रतिशत के साथ ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट, 22.3 प्रतिशत के साथ ऑयल एंड गैस और 15.9 प्रतिशत के साथ फाइनेंशियल सर्विसेज आरओई के मामले में अन्य शीर्ष क्षेत्र रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह दीर्घकालिक आधार पर भारत के प्रीमियम वैल्यूएशन का स्रोत है। लेकिन कोरोना के बाद से मेटल, माइनिंग और निर्माण सामग्री जैसे क्षेत्रों का दीर्घावधि आरओई कमजोर होने के बावजूद तेजी से पुनर्मूल्यांकन हुआ है।

इस बीच, हाई-आरओई वाले समूह में आय की गति धीमी हो गई है, क्योंकि राजस्व वृद्धि धीमी हो रही है और मार्जिन लेट साइकल में दिख रहे हैं।

फिर भी, बाजार अभी भी कुल मिलाकर प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ऐसी स्थिति में, मूल्यांकन कम होने पर हाई आरओई वाले समूह में सौदे उपलब्ध होंगे।

रिपोर्ट के अनुसार, गोल्ड रिटर्न को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक अमेरिकी डॉलर, एसएंडपी 500, फेडरल रिजर्व की नीतिगत दरें और उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति हैं। 2000 के दशक में भी, सोने की तेजी का श्रेय मुख्यतः कमजोर डॉलर को दिया गया था।

पिछले कुछ दशकों में, इन कारकों का महत्व बदल गया है और हाल के वर्षों में अक्सर डॉलर, इक्विटी और फेड ब्याज दर अक्सर सोने के प्रदर्शन के लिए बाधा बनते रहे हैं।

इन दबावों के बावजूद, सोना मजबूत बना हुआ है, जिसे 2022 से केंद्रीय बैंकों की मांग में संरचनात्मक वृद्धि का समर्थन प्राप्त है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे गोल्ड पुट का उदय हुआ। गोल्ड पुट, विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा कंसिस्टेंट लेस प्राइस-सेंसिटिव गोल्ड होर्डिंग है, जो कि यूएस ट्रेजरी का एक विकल्प है।

--आईएएनएस

एसकेटी/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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