वित्त मंत्रालय पीएसबी के साथ करेगा रिव्यू मीटिंग, एमएसएमई सेक्टर पर अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के प्रभावों का किया जाएगा आकलन

वित्त मंत्रालय पीएसबी के साथ करेगा रिव्यू मीटिंग, एमएसएमई सेक्टर पर अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के प्रभावों का किया जाएगा आकलन

वित्त मंत्रालय पीएसबी के साथ करेगा रिव्यू मीटिंग, एमएसएमई सेक्टर पर अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के प्रभावों का किया जाएगा आकलन

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IANS
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New Delhi: Union Finance Minister Nirmala Sitharaman carrying a digital tablet containing the Interim Budget 2024 leaves from Finance Ministry ahead of the presentation of the budget

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, वित्त मंत्रालय सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के साथ एक रिव्यू मीटिंग करने जा रहा है, जिसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ वृद्धि के प्रतिकूल प्रभाव का आकलन किया जाएगा। साथ ही, उनकी क्रेडिट से जुड़ी जरूरतों को जानने की कोशिश की जाएगी।

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वित्त मंत्रालय का वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम नागराजू की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक का उद्देश्य यह समझना है कि बाहरी व्यापार दबाव एमएसएमई को कैसे प्रभावित कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करना है कि मौजूदा सरकारी पहलों के तहत पर्याप्त ऋण सहायता जारी रहे।

इस उच्च-स्तरीय बैठक में सरकार की मुद्रा और ऋण गारंटी योजनाओं जैसी वित्तीय समावेशन पहलों के माध्यम से धन प्रवाह की समीक्षा की जाएगी।

इंजीनियरिंग सेक्टर के एमएसएमई ने हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​से मुलाकात की थी और हाल ही में अमेरिकी टैरिफ के मद्देनजर इस क्षेत्र की कमजोरियों को उजागर किया था और निर्यातकों के लिए उधारी लागत कम करने में सहायता मांगी थी।

ईईपीसी इंडिया के अध्यक्ष पंकज चड्ढा के अनुसार, भारत का अमेरिका को इंजीनियरिंग निर्यात औसतन लगभग 20 अरब डॉलर का है, जो अमेरिकी टैरिफ के अधीन भारत के कुल निर्यात का लगभग 45 प्रतिशत है। यह हमारे क्षेत्र की कमजोरी और सरकारी सहायता की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है। इस नुकसान को कम करने के लिए उद्योग को कुछ क्षेत्रों में तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

उन्होंने एक्सपोर्ट फाइनेंसिंग के लिए कोलेटेरल फ्री लोन के संबंध में एमएसएमई निर्यातकों के सामने आने वाली चुनौतियों की ओर भी ध्यान दिलाया।

एमएसएमई को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से वित्त प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जहां हाई-कोलेटेरल आवश्यकताएं बनी रहती हैं।

इसके अतिरिक्त, बैंकों द्वारा कोलेटेरल और ब्याज दरों का निर्धारण करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला क्रेडिट रेटिंग सिस्टम एमएसएमई को असमान रूप से प्रभावित करता है।

उन्होंने कहा कि परिणामस्वरूप, एमएसएमई को पर्याप्त कोलेटेरल प्रदान करने के अलावा उच्च ब्याज दरों का भुगतान करना पड़ता है।

ईईपीसी इंडिया के अध्यक्ष ने कहा कि इंजीनियरिंग निर्यातकों के अमेरिकी जोखिम ने उनकी क्रेडिट रेटिंग को प्रभावित किया है और सुझाव दिया कि रेटिंग एजेंसियों को कम से कम इस वर्ष के लिए क्रेडिट रेटिंग की गणना करते समय अमेरिकी जोखिम पर विचार नहीं करना चाहिए।

--आईएएनएस

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डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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