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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। भारत के समुद्री खाद्य उद्योग के लिए यूरोप से एक अच्छी खबर आई। यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारत से सदस्य देशों को निर्यात के लिए 102 नए भारतीय मत्स्य प्रतिष्ठानों को सूचीबद्ध किया है। यह जानकारी सरकार द्वारा मंगलवार को दी गई।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, यह महत्वपूर्ण विस्तार भारत की खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन प्रणालियों में वैश्विक स्तर पर बढ़ते विश्वास को दर्शाता है और यह भारतीय समुद्री खाद्य उत्पादों, विशेष रूप से जलीय कृषि झींगा और सेफेलोपोड्स (स्क्विड, कटल फिश और ऑक्टोपस) के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यूरोपीय संघ ने यह निर्णय नई दिल्ली में हुई कई बैठकों के बाद लिया है, जिनमें केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया था, जिसके परिणामस्वरूप निर्यात निरीक्षण परिषद (ईआईसी) द्वारा लागू किए गए भारत के नियंत्रण तंत्र पर विश्वास बढ़ा है।
भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात कड़े अंतरराष्ट्रीय मानकों, विशेष रूप से यूरोपीय संघ द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है।
यह खाद्य सुरक्षा, ट्रेसेबिलिटी और यूरोपीय संघ के नियमों के अनुपालन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और उच्च गुणवत्ता वाले समुद्री खाद्य के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करता है।
इससे निर्यात मात्रा में वृद्धि, रोजगार सृजन और विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि होने की उम्मीद है।
मंत्रालय ने कहा, इस डेवलपमेंट से यूरोपीय संघ को भारत के समुद्री खाद्य निर्यात में मजबूत वृद्धि होने की उम्मीद है, जो वैश्विक स्तर पर सबसे आकर्षक और गुणवत्ता-संवेदनशील बाजारों में से एक है। इन नए प्रतिष्ठानों के शामिल होने से, विभिन्न तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के निर्यातकों के पास अब यूरोपीय संघ की मांग का लाभ उठाने, अपने उत्पादों में विविधता लाने और व्यापार संबंधों को मजबूत करने के बेहतर अवसर होंगे।
वाणिज्य विभाग ने नीतिगत सुगमता, बुनियादी ढांचे के विकास और क्षमता निर्माण के माध्यम से निर्यातकों का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
ईआईसी और ईआईएएस यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे कि भारतीय समुद्री खाद्य उत्पाद अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन करें, जिससे जन स्वास्थ्य की रक्षा हो और भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़े।
यह दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के उत्पाद मानकों में आशावाद और बढ़ते विश्वास के समग्र वातावरण के अनुरूप है।
--आईएएनएस
एबीएस/
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