ई-मोबिलिटी, चिप्स और फिनटेक जैसे सेक्टर ऑस्ट्रिया के लिए प्रमुख निवेश अवसर: वित्त मंत्री

ई-मोबिलिटी, चिप्स और फिनटेक जैसे सेक्टर ऑस्ट्रिया के लिए प्रमुख निवेश अवसर: वित्त मंत्री

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IANS
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E-mobility, chips and fintech key investment opportunities for Austria: FM Sitharaman

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऑस्ट्रिया और भारत के बीच निवेश और व्यापार साझेदारी के कई अवसर हैं, जिसमें ई-मोबिलिटी, सेमीकंडक्टर और फिनटेक शामिल हैं।

वित्त मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, वियना में ऑस्ट्रिया के वित्त मंत्री मार्कस मार्टरबाउर के साथ अपनी बैठक के दौरान, वित्त मंत्री सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था, प्रमुख सुधारों और नीति उपायों के प्रमुख पहलुओं को साझा किया।

वित्त मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ) के माध्यम से ई-मोबिलिटी और सेमीकंडक्टर के क्षेत्रों में दोनों पक्षों की स्टार्टअप कंपनियों के बीच, विशेष रूप से फिनटेक के क्षेत्र में निवेश और व्यापार सहयोग के कई अवसर मौजूद हैं।

मार्टरबाउर ने ऑस्ट्रिया और भारत को साझा मूल्यों वाले स्वाभाविक सहयोगी बताया।

वित्त मंत्री ने मार्टरबाउर को एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आने का निमंत्रण भी दिया, जिससे वे सहयोग के लिए क्षेत्रीय अवसरों का पता लगा सकें और एक दूसरे के साथ बेस्ट प्रैक्टिस को साझा कर सकें।

इससे पहले, अपनी लंदन यात्रा के दौरान, वित्त मंत्री सीतारमण ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से मुलाकात की और व्यापार एवं निवेश और दोनों देशों के बीच आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ता की प्रगति पर भी चर्चा की।

इसके अलावा, भारत और यूके ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) और द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) के लिए बातचीत जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है।

दोनों देशों के साझा बयान में कहा गया कि ब्रिटिश पक्ष को अपनी आगामी औद्योगिक रणनीति के बारे में जानकारी देने में खुशी हुई, जिसके तहत यह साझेदारी औद्योगिक रणनीति के प्राथमिकता वाले विकास को बढ़ावा देने वाले क्षेत्रों जैसे उन्नत विनिर्माण और लाइफ साइंस, को सपोर्ट कर सकती है, जहां ब्रिटिश विशेषज्ञता और रिसर्च क्षमता भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने में मदद कर सकती है। साथ ही स्वच्छ ऊर्जा, पेशेवर और व्यावसायिक सेवाओं, वित्तीय सेवाओं, क्रिएटिव उद्योगों और रक्षा में नौकरियों और आर्थिक विकास को समर्थन दे सकती है।

--आईएएनएस

एबीएस/

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