डॉ रेड्डी और जायडस ने खराब गुणवत्ता के बाद अमेरिका से वापस मंगाई दवाइयां

डॉ रेड्डी और जायडस ने खराब गुणवत्ता के बाद अमेरिका से वापस मंगाई दवाइयां

डॉ रेड्डी और जायडस ने खराब गुणवत्ता के बाद अमेरिका से वापस मंगाई दवाइयां

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IANS
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Dr Reddy's, Zydus Lifesciences recall medicines in US over quality issues

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। दो बड़ी भारतीय दवा कंपनियां, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज और जाइडस लाइफसाइंसेज, अमेरिका के बाजार से कुछ दवाइयां वापस मंगा रही हैं। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) ने बताया है कि इन दवाओं में निर्माण प्रक्रिया के दौरान कुछ समस्याएं पाई गई हैं। ऐसे में मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये दवाएं वापस मंगाई जा रही हैं।

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डॉ. रेड्डी की अमेरिका में स्थित शाखा ने सक्सिनिलकोलाइन क्लोराइड इंजेक्शन की 571 शीशियों को वापस मंगाने का फैसला किया है। यह दवा मांसपेशियों को आराम देने के लिए इस्तेमाल होती है।

यूएसएफडीए ने बताया कि छह महीने की जांच के दौरान दवा की गुणवत्ता मानकों से बाहर पाई गई, जिससे इस वापसी की प्रक्रिया शुरू की गई। अमेरिका भर में इस दवा के इस बैच को वापस मंगाया जा रहा है। यह मामला क्लास-2 रिकॉल के तहत है, जिसका मतलब है कि इस दवा के इस्तेमाल से अस्थायी या ठीक हो सकने वाली स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बहुत कम हैं।

इसी तरह, जाइडस लाइफसाइंसेज की अमेरिकी शाखा जाइडस फार्मास्युटिकल्स (यूएसए) ने भी 1,500 से ज्यादा डब्बों की एंटेकाविर टैबलेट्स वापस मंगाई हैं। एंटेकाविर एक एंटीवायरल दवा है, जो मुख्य रूप से क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी नामक बीमारी के इलाज में काम आती है।

यूएसएफडीए ने बताया कि इस दवा में अशुद्धता और खराब होने से जुड़ी समस्याएं पाई गईं। इस कारण 912 बोतलें 0.5 मिलीग्राम और 600 बोतलें 1 मिलीग्राम की एंटेकाविर टैबलेट्स को बाजार से वापस मंगाया गया है।

भारत में सबसे ज्यादा यूएसएफडीए मानकों के अनुरूप दवा बनाने वाली फैक्ट्रियां हैं, जो अमेरिका के बाहर स्थित हैं।

यह पहली बार नहीं है जब भारतीय दवा कंपनियों को अमेरिका से अपनी दवाएं वापस मंगानी पड़ी हों। इससे पहले भी कई कंपनियों ने गुणवत्ता या उत्पादन संबंधी कारणों से दवाएं वापस मंगायी हैं।

सन फार्मा, ल्यूपिन और डॉ. रेड्डी ने पहले भी इसी तरह से दवाएं वापस मंगाई हैं। उनका मुख्य मकसद मरीजों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना रहा है।

इस साल जुलाई में भी मुंबई की सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज ने अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) नामक बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एक दवा की 5,448 बोतलें वापस मंगाई थीं। यह दवा लिस्डेक्सामफेटामाइन डेमेसिलेट कैप्सूल थी। यह दवा जरूरी परीक्षणों में आवश्यक घुलनशीलता के मानकों को पूरा करने में असफल रही, जिसके चलते कंपनी ने अपने ग्राहकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया।

--आईएएनएस

पीके/एएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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