इसे भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष न समझें, यह भारत बनाम 'आतंकिस्तान' है : विदेश मंत्री एस. जयशंकर

इसे भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष न समझें, यह भारत बनाम 'आतंकिस्तान' है : विदेश मंत्री एस. जयशंकर

इसे भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष न समझें, यह भारत बनाम 'आतंकिस्तान' है : विदेश मंत्री एस. जयशंकर

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IANS
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Don't think it as India and Pakistan, it is India vs 'Terroristan': EAM Jaishankar

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

ब्रुसेल्स, 10 जून (आईएएनएस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत किसी भी तरह के परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा। देश सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस में विश्वास करता है।

जयशंकर ने ब्रुसेल्स में यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि और यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष काजा कालास के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, यह वास्तव में दो देशों के बीच संघर्ष नहीं है। यह वास्तव में खतरे और आतंकवाद के अभ्यास का जवाब है। इसलिए मैं आपसे आग्रह करूंगा कि इसे भारत-पाकिस्तान के रूप में न सोचें, इसे भारत और आतंकिस्तान के रूप में सोचें, आप समझ जाएंगे।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद वैश्विक समुदाय के लिए एक साझा और परस्पर जुड़ी चुनौती है, इस मामले पर मजबूत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समझ होना आवश्यक है।

विदेश मंत्री जयशंकर और कालास भारत और यूरोपीय संघ के बीच पहली रणनीतिक वार्ता के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे, जहां दोनों पक्षों ने एक खुली और उपयोगी बैठक की, जिसमें समुद्री, साइबर और अंतरिक्ष सहित रक्षा और सुरक्षा पर चर्चा केंद्रित रही।

कालास ने कहा, परमाणु धमकियों से कोई फायदा नहीं हो सकता। यह एक साझा चिंता का विषय है। हम देखते हैं कि दुनिया में अलग-अलग देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इस वैश्विक रूप से बदलती दुनिया में हमें और अधिक साझेदारों की जरूरत है और इसलिए हम सुरक्षा और रक्षा के मामले में अपने सहयोग को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दोनों पक्षों ने यूरोप की स्थिति, यूक्रेन संघर्ष, मध्य पूर्व, भारतीय उपमहाद्वीप और हिंद-प्रशांत सहित वैश्विक व्यवस्था पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

उन्होंने कहा, मेरी ब्रुसेल्स यात्रा यूरोपीय संघ के आयुक्तों के भारत दौरे के तीन महीने बाद हो रही है। उस समय भी यह स्पष्ट था कि विश्व व्यवस्था एक गहन परिवर्तन के दौर से गुजर रही थी। ये रुझान कई मायनों में और तेज हो गए हैं। हम बहुध्रुवीयता और रणनीतिक स्वायत्तता के युग में प्रवेश कर चुके हैं, जो भारत और यूरोपीय संघ के बीच गहरे संबंध बनाने के लिए दो महत्वपूर्ण ताकतें हैं। उस लक्ष्य की ओर काम करने के लिए कई क्षेत्रों में गहन सहयोग की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ऐसी स्थितियां होंगी, जब हमारे दृष्टिकोण पूरी तरह समान नहीं होंगे और यह समझ में आने वाली बात है। लेकिन, महत्वपूर्ण यह है कि हम साझा आधार और समझ का विस्तार करें तथा विश्वास के स्तर को बढ़ाएं।

एस. जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत का लक्ष्य साल के अंत तक महत्वाकांक्षी भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पूरा करना है।

--आईएएनएस

एकेएस/एबीएम

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