'मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था', मालेगांव मामले पर बोले पूर्व एटीएस अधिकारी

'मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था', मालेगांव मामले पर बोले पूर्व एटीएस अधिकारी

'मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था', मालेगांव मामले पर बोले पूर्व एटीएस अधिकारी

author-image
IANS
New Update
Didn’t arrest Bhagwat, that’s why I was apprehended: Former ATS officer claims conspiracy behind Malegaon case

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)। महाराष्ट्र एटीएस के एक पूर्व अधिकारी, जो 2008 के मालेगांव बम धमाके की जांच करने वाली टीम का हिस्सा थे, ने शुक्रवार को एक चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने दावा किया कि इस मामले में उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने इस निर्देश का पालन करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें झूठे मामले में फंसाकर गिरफ्तार कर लिया गया।

Advertisment

पूर्व एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने कहा, मुझे फरार आरोपियों संदीप डांगे और रामजी कलसांगरा को पकड़ने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन इसके साथ ही, मुझे मोहन भागवत को भी गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया था। यह निर्देश सीधे परमबीर सिंह समेत वरिष्ठ अधिकारियों से आया था।

मुजावर ने कहा कि उन्हें इस काम के लिए आधिकारिक तौर पर तैयार किया गया था। उनके पास 10 लोगों की टीम, पर्याप्त फंडिंग और एटीएस द्वारा एक सर्विस रिवॉल्वर भी उपलब्ध कराया गया था। लेकिन, मैंने ऐसा करने से इनकार कर दिया, क्योंकि ऐसा करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं था।

उन्होंने कहा, यही वह समय था जब भगवा आतंकवाद शब्द ने जोर पकड़ना शुरू किया। मुझे मोहन भागवत को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन मैं ऐसा झूठ नहीं गढ़ सकता था। मैं निर्देशानुसार नागपुर में रहा, लेकिन मैंने गिरफ्तारी नहीं की क्योंकि यह नैतिक और कानूनी रूप से गलत होता। अगर मैंने ऐसा किया होता, तो कौन जानता है कि मेरे साथ क्या होता?

मुजावर के अनुसार, उनके इनकार के कारण व्यवस्था के भीतर से प्रतिशोध शुरू हो गया।

समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा कि मैंने भागवत को गिरफ्तार नहीं किया, इसलिए मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए। मुझे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया और मेरे खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। बाद में मैंने कोर्ट में सभी दस्तावेज पेश किए, जो साबित करते थे कि आरएसएस प्रमुख के खिलाफ कोई सबूत नहीं था। आखिरकार, मुझे बरी कर दिया गया। अब दस साल से ज्यादा हो चुके हैं। ये दस्तावेज एनआईए को भी दिए गए और अंतिम फैसले के दौरान पेश किए गए।

मुजावर का यह बयान विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत द्वारा 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी करने के एक दिन बाद आया है, जिसमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित भी शामिल हैं।

कोर्ट ने पर्याप्त सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत सभी आरोप खारिज कर दिए।

मालेगांव ब्लास्ट 29 सितंबर, 2008 को नासिक जिले के मालेगांव में भिक्कू चौक मस्जिद के पास हुआ था, जब रमजान के पवित्र महीने और नवरात्रि से कुछ दिन पहले एक मोटरसाइकिल पर फिक्स किए गए बम का धमाका हुआ था। सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इस इलाके में छह लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा घायल हुए थे।

लगभग 17 साल की कानूनी लड़ाई के बाद, गुरुवार को अदालत के निर्देशानुसार, सभी आरोपियों की उपस्थिति में खचाखच भरे अदालत कक्ष में फैसला सुनाया गया। अदालत ने मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपए और प्रत्येक घायल को 50-50 हजार रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।

--आईएएनएस

पीएसके/जीकेटी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
Advertisment