आगामी वित्त वर्ष में सरकार का मुख्य फोकस डेट-टू-जीडीपी रेश्यो कम करने पर होगा : वित्त मंत्री

आगामी वित्त वर्ष में सरकार का मुख्य फोकस डेट-टू-जीडीपी रेश्यो कम करने पर होगा : वित्त मंत्री

आगामी वित्त वर्ष में सरकार का मुख्य फोकस डेट-टू-जीडीपी रेश्यो कम करने पर होगा : वित्त मंत्री

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IANS
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Cutting debt-to-GDP ratio will be govt’s core focus in coming fiscal: FM Sitharaman

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि अगले वित्तीय वर्ष (2026-27) में डेट-टू-जीडीपी रेश्यो को कम करना सरकार का मुख्य लक्ष्य होगा।

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एक मीडिया इवेंट में सीतारमण ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि देश का डेट-टू-जीडीपी रेश्यो कम किया जाए, जो कोविड काल में 60 प्रतिशत से अधिक हो गया था।

उन्होंने कहा, “यह अनुपात पहले ही घट रहा है, लेकिन इसे और कम करने की जरूरत है और यह अगले वित्त वर्ष में हमारी प्राथमिकताओं में होगा। आरबीआई के डॉक्यूमेंट्स और अध्ययन बताते हैं कि कुछ राज्यों में यह अनुपात चिंताजनक स्तर पर है।”

वित्त मंत्री ने कहा कि जब तक फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट (एफआरबीएम) के दायरे में कर्ज को नहीं रखा जाता और उच्च ब्याज वाले कर्ज को कम नहीं किया जाता, तब तक राज्य केवल कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज लेते हैं, विकास के लिए नहीं। उन्होंने कहा, “यह 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य के लिए खतरा है।”

सीतारमण ने कहा कि सरकार ने बजट में पारदर्शिता और वित्तीय प्रबंधन में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लक्ष्य तय किए हैं। उन्होंने कहा, “कोविड के बाद डेट-टू-जीडीपी रेश्यो 60 प्रतिशत से ऊपर था, अब यह घट रहा है। अगले वित्त वर्ष में कर्ज कम करने पर मुख्य फोकस रहेगा।”

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार बॉन्ड मार्केट को मजबूत करने पर काम कर रही है, ताकि अधिक फंड निवेश में आ सकें।

वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की स्थिरता भारत को वैश्विक मंच पर मजबूती से बातचीत करने की क्षमता देती है।

उन्होंने बताया कि मुद्रा योजना, हर नागरिक का बैंक खाता और क्रेडिट इतिहास जैसे कदमों से हर भारतीय का क्रेडिट फूटप्रिंट बढ़ा है और अब बैंकिंग क्रेडिट आसानी से उपलब्ध है।

उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि भारत विश्व व्यापार में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिसके लिए विनिर्माण, कृषि, मूल्य संवर्धन और सेवा क्षेत्र को मजबूत करना बहुत जरूरी है। सेवा क्षेत्र का योगदान बेहद कम सरकारी हस्तक्षेप के बावजूद अब जीडीपी के 60 प्रतिशत से अधिक तक बढ़ गया है। इसमें न केवल आईटी है, बल्कि पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र भी शामिल हैं।

--आईएएनएस

दुर्गेश बहादुर/एबीएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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