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सीईसी ने स्टॉकहोम में भारत की चुनावी अखंडता, पैमाने और विविधता पर डाला प्रकाश

सीईसी ने स्टॉकहोम में भारत की चुनावी अखंडता, पैमाने और विविधता पर डाला प्रकाश

सीईसी ने स्टॉकहोम में भारत की चुनावी अखंडता, पैमाने और विविधता पर डाला प्रकाश

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IANS
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CEC Gyanesh Kumar spotlights India's electoral integrity and scale at Stockholm conference

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

स्टॉकहोम, 11 जून (आईएएनएस)। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने देश की चुनावी अखंडता, पैमाने और विविधता पर जोर डालते हुए स्वीडन में स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय चुनावी अखंडता सम्मेलन में अपना मुख्य भाषण देते हुए दुनिया भर के देशों के चुनाव प्रबंधन निकायों (ईएमबी) के क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) की भूमिका की पुष्टि की।

उन्होंने कहा कि पूरी ईमानदारी के साथ चुनाव कराना हमारे राष्ट्रीय संकल्प का प्रमाण है। लगभग 50 देशों के चुनाव प्रबंधन निकायों (ईएमबी) का प्रतिनिधित्व करने वाले 100 से अधिक प्रतिभागी इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। सम्मेलन का आयोजन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस (इंटरनेशनल आईडीईए) कर रहा है।

ज्ञानेश कुमार ने प्रतिभागियों को भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा विशेष रूप से संसदीय चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर किए जाने वाले चुनावी अभ्यास के बारे में भी बताया, जो राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, आम लोगों, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों तथा मीडिया की कड़ी निगरानी में किया जाता है।

उन्होंने कहा कि ये सब विभिन्न चरणों में समवर्ती लेखा परीक्षकों की तरह काम करते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने समन्वय के पैमाने पर भी प्रकाश डाला, जो भारत में चुनावों के संचालन को दर्शाता है। चुनाव के समय मतदान कर्मचारियों, पुलिस बलों, पर्यवेक्षकों और राजनीतिक दलों के एजेंटों सहित 2 करोड़ से अधिक कर्मियों के साथ, चुनाव आयोग दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बन गया है, जो कई राष्ट्रीय सरकारों और प्रमुख वैश्विक निगमों के संयुक्त कार्यबल को पार कर गया है।

निर्वाचन आयोग यह सुनिश्चित करता है कि भारत के लगभग एक अरब मतदाता स्वतंत्र रूप से अपने मताधिकार का प्रयोग करने में सक्षम हैं।

सम्मेलन में अपने संबोधन में ज्ञानेश कुमार ने दशकों से भारतीय चुनाव प्रणाली के विकास के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि कैसे संवैधानिक मूल्यों में निहित रहते हुए चुनावी प्रणाली ने बढ़ती जटिलता के साथ खुद को ढाल लिया है। 1951-52 में 17 करोड़ 30 लाख से 2024 में 97 करोड़ 90 लाख मतदाताओं तक और शुरुआती वर्षों में केवल 2 लाख मतदान केंद्रों से आज 10 लाख 50 हजार से अधिक मतदाता केंद्रों तक, भारत की चुनावी यात्रा ने संस्थागत दूरदर्शिता और बेजोड़ पैमाने दोनों का प्रदर्शन किया है।

उन्होंने बताया कि 2024 के आम चुनावों में 743 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया, जिनमें छह राष्ट्रीय दल, 67 राज्य स्तरीय दल और अन्य पंजीकृत राजनीतिक दल शामिल थे। देश भर में 62 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का उपयोग करके कुल 20,271 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जो समावेशी, कुशल और सुरक्षित चुनाव कराने की आयोग की क्षमता की पुष्टि करता है।

ज्ञानेश कुमार ने 1960 से लेकर आज तक हर साल संशोधन के दौरान और चुनावों से पहले सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ भारत की मतदाता सूची को वैधानिक रूप से साझा करने को रेखांकित किया, जिसमें दावों, आपत्तियों और अपीलों का प्रावधान है। यह दुनिया की सबसे कठोर और पारदर्शी प्रक्रियाओं में से एक है, जो चुनावी प्रक्रिया की सटीकता और अखंडता को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि यह मजबूत तंत्र साल दर साल पूरे देश में चुनावी विश्वसनीयता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारतीय चुनावों के समावेशी डिजाइन पर ज्ञानेश कुमार ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं, 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों, थर्ड जेंडर के मतदाताओं और सबसे दुर्गम क्षेत्रों के मतदाताओं को समान देखभाल और प्रतिबद्धता के साथ सेवा प्रदान करती है। एक मतदाता वाले मतदान केंद्रों से लेकर हिमाचल प्रदेश के ताशीगंग जैसे सबसे ऊंचे मतदान केंद्रों तक, किसी भी मतदाता को पीछे न छोड़ने की भारत की प्रतिबद्धता को तार्किक चुनौती के बजाय एक संवैधानिक सिद्धांत के रूप में दोहराया गया।

--आईएएनएस

एसके/एबीएम

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