भारत-अमेरिका के व्यापार संबंधों के लिए 2026 की पहली तिमाही होगी काफी अहम: रिचर्ड रोसो (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

भारत-अमेरिका के व्यापार संबंधों के लिए 2026 की पहली तिमाही होगी काफी अहम: रिचर्ड रोसो (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

भारत-अमेरिका के व्यापार संबंधों के लिए 2026 की पहली तिमाही होगी काफी अहम: रिचर्ड रोसो (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

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IANS
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Cautious recovery in India–US ties after 2025 'wobbles', says expert (IANS Interview)

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

वाशिंगटन, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत और अमेरिका के रिश्तों ने साल 2025 में कई उतार-चढ़ाव देखे। साल की शुरुआत में जहां दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर अच्छी तेजी दिखी, वहीं आगे चलकर व्यापार से जुड़े मतभेद और कुछ भू-राजनीतिक मुद्दों पर असहमति भी सामने आई।

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हालांकि अब हालात धीरे-धीरे स्थिर हो रहे हैं और दोनों देश 2026 को ज्यादा सकारात्मक और उत्पादक बनाने की दिशा में आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। यह बात अमेरिका में भारत मामलों के वरिष्ठ विशेषज्ञ रिचर्ड रोसो ने एक साक्षात्कार में कही है।

वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) में भारत और उभरती एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर काम कर रहे रिचर्ड रोसो ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, यह रिश्ता साफ तौर पर उतार-चढ़ाव भरा रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत उन देशों में शामिल था, जिन्होंने अमेरिका के साथ शुरुआत में ही बेहतर तरीके से संपर्क बनाया। इसमें राष्ट्राध्यक्ष स्तर की मुलाकात और क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक जैसे अहम कदम शामिल थे। हालांकि, कुछ समय बाद मतभेद सामने आने लगे।

रोसो ने बताया कि भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर अलग-अलग नजरिया है और भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद जारी रखने पर वॉशिंगटन में चिंता बढ़ी। इसके बावजूद रोसो का मानना है कि मौजूदा दौर पहले की तुलना में कहीं ज्यादा शांत है।

उन्होंने कहा, अब तक व्यापार समझौता पूरा नहीं हुआ है। रोज-रोज की तीखी बयानबाजी भी नहीं दिखती। यह माहौल 2026 में रिश्तों को ज्यादा मजबूत बनाने की नींव रख सकता है।

व्यापार के मुद्दे पर रोसो ने माना कि भारत अमेरिकी कंपनियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण बाजार रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद कुछ ऐसे कदम उठाए गए जिनसे अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में निर्यात करना मुश्किल हुआ। ये नीतियां आज भी अमेरिका की सोच को प्रभावित करती हैं, खासकर राष्ट्रपति ट्रंप के नजरिए से।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत की व्यापार नीति में समय के साथ बदलाव आया है। आयात शुल्क में कटौती, स्थानीय निर्माण की अनिवार्यता में कमी और ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात के साथ बड़े व्यापार समझौते इसके उदाहरण हैं।

राजनीतिक स्तर पर आई डगमगाहट के बावजूद, व्यापारिक आंकड़े मजबूत बने हुए हैं। रोसो ने कहा कि आयात और निर्यात दोनों में साल-दर-साल बढ़ोतरी दिख रही है।

2025 के व्यापार आंकड़ों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर उच्च सिंगल-डिजिट ग्रोथ देखने को मिल सकती है। हालांकि, उन्होंने हाल के महीनों में भारतीय निर्यात में आई गिरावट की ओर भी इशारा किया।

रोसो ने कृषि क्षेत्र को व्यापार समझौते में सबसे बड़ी अड़चन बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के बुनियादी कृषि उत्पादों तक पहुंच की मांग कर रहे हैं। यह भारत के लिए संवेदनशील मुद्दा है, क्योंकि देश में बड़ी संख्या में किसान हैं, जिनके पास वैकल्पिक रोजगार के सीमित अवसर हैं। ऐसे में बड़े स्तर पर उदारीकरण सामाजिक और राजनीतिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है।

भारत के पक्ष का समर्थन करते हुए रोसो ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था असमान है। जहां एक ओर सेवा क्षेत्र काफी उत्पादक है, वहीं कृषि क्षेत्र की उत्पादकता कम है। उन्होंने कहा कि सुधार धीरे-धीरे और संतुलित तरीके से होने चाहिए ताकि लोगों की जिंदगी पर अचानक नकारात्मक असर न पड़े।

निवेश के मोर्चे पर रोसो ने भारत के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेक्टर में अमेरिका की अरबों डॉलर की प्रतिबद्धताओं को दीर्घकालिक सोच का संकेत बताया।

उन्होंने कहा कि भविष्य में दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं होंगी और भारत उनमें से एक होगा। उनके अनुमान के मुताबिक, भारत मध्य सदी तक 20 से 25 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है और अमेरिका व चीन को सीधी चुनौती देगा।

सुधारों की बात करें तो रोसो ने कहा कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत धीमी रही, लेकिन हाल के महीनों में रफ्तार बढ़ी है। उन्होंने जीएसटी में बदलाव और बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति जैसे कदमों का जिक्र किया।

2026 की शुरुआत को लेकर रोसो ने कहा कि साल की पहली तिमाही बेहद अहम होगी। संभावित व्यापार समझौता, अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा, क्वाड नेताओं की बैठक और फरवरी में होने वाला एआई इम्पैक्ट समिट इस दिशा में निर्णायक साबित हो सकते हैं। साथ ही, भारत में होने वाले राज्य चुनाव भी सुधारों की गति को प्रभावित करेंगे।

रोसो ने कहा कि पिछले 11 से 12 वर्षों में भारत ने सुरक्षा के मोर्चे पर खुद को काफी मजबूत किया है और अमेरिका के साथ सुरक्षा सहयोग भी गहरा हुआ है।

--आईएएनएस

वीकेयू/

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