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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)। 2023 में दुनिया भर में हुई तीन में से एक मौत का कारण कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (सीवीडी) था। ये दावा एक अध्ययन के आधार पर किया जा रहा है।
अध्ययन से पता चला है कि दुनिया भर में सीवीडी (दिल और रक्त धमनियों से संबंधित तंत्र) से होने वाली मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। 1990 में ये संख्या जहां 13.1 मिलियन थी, 2023 में बढ़कर 19.2 मिलियन हो गई।
सीवीडी से मृत्यु दर जनसंख्या वृद्धि, वृद्धावस्था, मोटापे और मधुमेह की वजह से भी बढ़ी है, जैसा कि ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) अध्ययन पर आधारित और बुधवार को जेएसीसी में प्रकाशित रिपोर्ट से पता चलता है।
2023 में इस्केमिक हृदय रोग से अनुमानित 240 मिलियन लोग प्रभावित हुए, जबकि निचले अंगों की परिधीय धमनी (लोअर एक्सट्रिमिटी पेरिफिरल आर्टियल डिजीज) रोग से 122 मिलियन लोग प्रभावित हुए; स्ट्रोक मृत्यु और विकलांगता का एक प्रमुख कारण बना हुआ है।
अधिकांश क्षेत्रों में पुरुषों में हृदय रोग से होने वाली मृत्यु दर महिलाओं की तुलना में अधिक थी, और 50 वर्ष की आयु के बाद जोखिम में तेजी से वृद्धि हुई।
2018 और 2023 के बीच हाई बॉडी मास इंडेक्स और हाई फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज सबसे तेजी से बढ़ने वाले चयापचय कारक थे।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजी विभाग में प्रोफेसर ग्रेगरी ए. रोथ ने कहा, हमारा विश्लेषण हृदय रोग के बोझ में व्यापक भौगोलिक अंतर दर्शाता है जिसे केवल आय स्तर से नहीं समझाया जा सकता। इस प्रकार की भिन्नता को देखते हुए, हमारा मानना है कि स्थानीय स्तर (एक निश्चित आबादी) पर कुछ स्वास्थ्य संबंधी नीतियों पर काम करना जरूरी है।
शोधकर्ताओं ने सभी उपलब्ध आंकड़ों और सांख्यिकीय मॉडलों का उपयोग करके 204 देशों में 1990 से 2023 तक हृदय रोग सहित 376 बीमारियों के कारण पड़ने वाले बोझ का अनुमान लगाया।
हृदय रोग विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) और वैश्विक स्तर पर जीबीडी में अनुमानित मृत्यु का प्रमुख कारण भी बना रहा। 2023 में 437 मिलियन हृदय रोग डीएएलवाई थे, जिसमें सबसे कम और सबसे अधिक हृदय रोग डीएएलवाई दर वाले देशों के बीच 16 गुना अंतर था।
यह 1990 के 320 मिलियन सीवीडी डेलीज से 1.4 गुना वृद्धि है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि 2023 में वैश्विक स्तर पर सभी सीवीडी डेलीज का कारण 79.6 प्रतिशत परिवर्तनीय जोखिम कारक थे, जो 1990 से वैश्विक स्तर पर 97.4 मिलियन तक बढ़ गए हैं, जिसका मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि और वृद्धावस्था है।
--आईएएनएस
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