क्या चैटबॉट्स से कम हो रहा मेंटल हेल्थ स्टिग्मा? शोध में सामने आई सच्चाई!

क्या चैटबॉट्स से कम हो रहा मेंटल हेल्थ स्टिग्मा? शोध में सामने आई सच्चाई!

क्या चैटबॉट्स से कम हो रहा मेंटल हेल्थ स्टिग्मा? शोध में सामने आई सच्चाई!

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IANS
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Can ChatGPT help reduce mental health stigma?

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। एक स्टडी के मुताबिक, चैटजीपीटी जैसे एआई चैटबॉट्स मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक (स्टिग्मा) को कम करने में कुछ हद तक मदद कर सकते हैं, लेकिन वे पेशेवर चिकित्सा की जगह नहीं ले सकते। शोध से पता चलता है कि एआई चैटबॉट्स उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकते हैं जो पारंपरिक फेस-टू-फेस मदद लेने में हिचकिचाते हैं, क्योंकि ये गोपनीय और आसानी से उपलब्ध बातचीत प्रदान करते हैं।

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ऑस्ट्रेलिया में एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी (ईसीयू) की टीम ने 73 लोगों का सर्वे किया। ये वो लोग थे जिन्होंने अपनी किसी दुविधा के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल किया था। टीम ने चैटजीपीटी के इस्तेमाल और स्टिग्मा से जुड़े इसके असर की जांच की।

ईसीयू में मास्टर ऑफ क्लिनिकल साइकोलॉजी के छात्र स्कॉट हन्ना ने कहा, नतीजों से पता चलता है कि यह टूल असरदार है और बाहरी जजमेंट के बारे में चिंताओं को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।

मेंटल हेल्थ हेल्प लेने में स्टिग्मा (यहां बदनामी का डर) एक बड़ी रुकावट है। यह लक्षणों को और खराब कर सकता है और लोगों को सपोर्ट लेने से रोक सकता है।

स्टडी में पूर्वाग्रह से होने वाले स्टिग्मा, जज किए जाने या भेदभाव किए जाने का डर और नेगेटिव सोच को मन में बिठाने से होने वाले स्टिग्मा पर फोकस किया गया। ये ऐसे स्टिग्मा हैं जिनसे आत्मविश्वास और मदद मांगने की इच्छा कम हो जाती है।

जिन लोगों को लगा कि चैटजीपीटी असरदार है, उनके इसका इस्तेमाल करने की संभावना ज्यादा थी और उन्हें लोगों द्वारा जज किए जाने का खौफ कम था।

जैसे-जैसे एआई टूल ज्यादा आम होते जा रहे हैं, लोग अपनी मेंटल हेल्थ की चर्चा के लिए इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी एक वजह निजता का बना रहना कही जा सकती है।

उन्होंने आगे कहा, “नतीजों से पता चलता है कि इन मकसदों के लिए डिजाइन न किए जाने के बावजूद, चैटजीपीटी जैसे एआई टूल्स का इस्तेमाल मेंटल हेल्थ के लिए ज्यादा हो रहा है।”

टीम ने कहा कि एआई से खुलना आसान हो सकता है, लेकिन सावधान रहना चाहिए, क्योंकि गुमनाम डिजिटल टूल्स में जरूरी नैतिकता का अभाव होता है।

हन्ना ने कहा, “चैटजीपीटी को इलाज के मकसदों के लिए डिजाइन नहीं किया गया था, और हाल की रिसर्च से पता चला है कि इसके जवाब कभी-कभी गलत भी हो सकते हैं। इसलिए, हम यूजर्स को एआई-बेस्ड मेंटल हेल्थ टूल्स को जिम्मेदारी से प्रयोग करने की सलाह देते हैं।”

टीम ने मेंटल हेल्थ सर्विसेज के क्षेत्र में एआई की उपयोगिता को लेकर और रिसर्च करने पर जोर दिया है।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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