एनसीडी से बचाव की शुरुआत सेल्फ केयर से: विशेषज्ञ

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IANS
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Boosting health literacy, self-care in youth may help prevent early onset of NCDs: Experts

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा कि युवाओं के लिए हेल्थ लिटरेसी और सेल्फ केयर की संस्कृति विकसित करने से भारत में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा और कैंसर जैसी नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज (गैर-संचारी बीमारियों) को रोकने में मदद मिल सकती है।

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विशेषज्ञों ने गैर-लाभकारी संस्था सुकार्य द्वारा आयोजित तीसरे अंतर्राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य एवं पोषण सम्मेलन (आईसीपीएचएन 2025) में अपने विचार व्यक्त किए।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में पोषण एवं किशोर स्वास्थ्य उपायुक्त डॉ. जोया अली रिजवी ने निवारक स्वास्थ्य और व्यवहार परिवर्तन पर राष्ट्रीय मिशन के फोकस पर जोर दिया।

रिजवी ने कहा, हम एक क्रांतिकारी बदलाव देख रहे हैं। हमारा प्रयास केवल बीमारियों का इलाज करना नहीं है, बल्कि युवाओं में स्वास्थ्य को लेकर साक्षरता बढ़ाना और स्व-देखभाल की संस्कृति का निर्माण करके गैर-संचारी रोगों की शुरुआत को रोकना है।

उन्होंने आगे कहा, हमारा उद्देश्य हर राज्य और हर किशोर तक ऐसे कार्यक्रमों को पहुंचाना है जो न केवल समाधान सुझाएं बल्कि स्वास्थ्य के प्रति स्वामित्व को भी सक्षम बनाएं।

सुकार्या की संस्थापक एवं अध्यक्ष मीरा सत्पथी ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि यह सम्मेलन किशोरों के स्वास्थ्य पर केंद्रित है, जिसमें उनका शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, पोषण, व्यवहार संबंधी समस्याएं आदि शामिल हैं।

किशोरों को भारत की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए, सत्पथी ने उनके स्वास्थ्य का जल्द से जल्द ध्यान रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने आईएएनएस को बताया, किशोर और किशोरियों को बहुत सारी समस्याएं हैं। जब वे छोटे होते हैं, तो हम उनका ध्यान रखना चाहते हैं। अगर वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखते, तो यह जीवन भर के लिए बोझ बन जाता है। हम एक अच्छा, स्वस्थ और सक्षम भारत चाहते हैं।

सोशल चेंजमेकर्स एंड इनोवेटर्स, काठमांडू, नेपाल की सह-संस्थापक एवं सीईओ बोनिता शर्मा ने संतुलित पोषण को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बात की।

शर्मा ने आईएएनएस को बताया, वर्तमान में, विकासशील देशों में युवा कुपोषण के तिहरे बोझ का सामना कर रहे हैं। वे कम वजन, ज्यादा वजन और मोटापे से ग्रस्त हैं। एनीमिया की समस्या भी है, जिसे छिपी हुई भूख या सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी भी कहा जाता है।

उन्होंने कहा, अब तक जिस मुख्य समाधान पर चर्चा हुई है, वह है किशोरों के स्वास्थ्य और कल्याण की नींव रखने के लिए स्कूल को एक प्रवेश बिंदु के रूप में इस्तेमाल करना। उन्होंने नीतियों के कार्यान्वयन में आने वाली कमियों पर भी ध्यान देने की जरूरत बताई।

शर्मा ने कहा, बहुत सारी बेहतरीन नीतियां और कार्यक्रम हैं, लेकिन जब उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करने की बात आती है, तो कई चुनौतियां सामने आती हैं। एक मजबूत निगरानी तंत्र सुनिश्चित करने पर भी चर्चा हुई है।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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