पश्चिम बंगाल : 12 सहकर्मियों के सस्पेंशन के विरोध में डॉक्टर भूख हड़ताल पर

पश्चिम बंगाल : 12 सहकर्मियों के सस्पेंशन के विरोध में डॉक्टर भूख हड़ताल पर

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IANS
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Doctors in Bengal hospital on hunger strike in protest against suspension of 12 colleagues

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

कोलकाता, 19 जनवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के सरकारी मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 38 डॉक्टर राज्य सरकार के 12 डॉक्टरों को निलंबित करने के फैसले के खिलाफ भूख हड़ताल पर हैं।

शनिवार रात जूनियर डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया। पिछले हफ्ते, एक महिला और उसके नवजात बच्चे की मौत के मामले में 12 डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया। आरोप है कि इनकी मौत एक्सपायर्ड रिंगर्स लैकटेट दिए जाने से हुई।

प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि जिन 12 डॉक्टरों को निलंबित किया गया है (6 जूनियर और 6 सीनियर), यह असल मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश है। उनकी दलील है कि मौत की असली वजह एक्सपायरी दवा है, जिसे पास्कल बैंग फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने सप्लाई किया था। यह कंपनी पहले कर्नाटक और फिर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ब्लैकलिस्ट की जा चुकी है।

निलंबित किए गए डॉक्टरों में अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट-कम-वाइस प्रिंसिपल और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) भी शामिल हैं।

पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन डॉक्टरों के निलंबन की घोषणा करते हुए दवा सप्लाई करने वाली कंपनी को लगभग क्लीन चिट दे दी।

एक भूख हड़ताल पर बैठे डॉक्टर ने कहा, हम बार-बार 12 डॉक्टरों के निलंबन को रद्द करने की अपील कर रहे हैं। हमने इस मुद्दे पर कई विभागों को ईमेल भी भेजे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। आखिरकार, हमने भूख हड़ताल का फैसला किया। यह प्रदर्शन हमारे आंशिक कार्य-विराम का ही विस्तार है, जो कुछ दिन पहले शुरू हुआ था।

इस मामले में दो स्तर पर जांच चल रही है: राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों की टीम द्वारा और दूसरे पश्चिम बंगाल पुलिस के क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट द्वारा।

पश्चिम बंगाल में काम करने वाले डॉक्टरों की संस्था सर्विस डॉक्टर्स फोरम (एसडीएफ) ने राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस से इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है।

एसडीएफ का आरोप है कि डॉक्टरों को निलंबित कर असली वजह से ध्यान हटाने की कोशिश हो रही है। उनका कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में साफ है कि महिला की मौत 10 जनवरी को दवा या सलाइन के रिएक्शन से हुई थी। इसके बावजूद 12 डॉक्टरों को निलंबित करना असली मुद्दे से ध्यान भटकाने का प्रयास है।

--आईएएनएस

एएस/

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