मिंस्क, 26 जून (आईएएनएस)। बेलारूस के रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल विक्टर ख्रेनिन ने भारत-बेलारूस की विदेश नीति को महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक बताया है। उन्होंने गुरुवार को चीन के किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ अपनी बैठक के दौरान यह बातें कहीं।
राजनाथ सिंह के साथ अपनी बैठक के दौरान ख्रेनिन ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के मौजूदा मुद्दों पर हमारी स्थिति एक जैसी है। मौजूदा संघर्षों को हल करने के लिए बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर चलने की आवश्यकता के मुद्दे पर बेलारूस और भारत एकजुट हैं।
बेलारूस के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ख्रेनिन ने कहा कि भारत के साथ सहयोग बेलारूस की विदेश नीति के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है और द्विपक्षीय संबंध पारस्परिक लाभ और सम्मान के सिद्धांतों पर विकसित हो रहे हैं।
बयान में कहा गया, इसके बदले में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने में विश्वास व्यक्त किया और इस बात पर जोर दिया कि बेलारूस और भारत के बीच संबंधों के 33 साल के इतिहास में न केवल सहयोग के क्षेत्रों को मजबूत करना, बल्कि विविधता लाना भी संभव हुआ है।
दोनों मंत्रियों ने 2025 के लिए संयुक्त कार्य के अंतरिम परिणामों का सारांश भी दिया, सैन्य शिक्षा के क्षेत्र सहित सहयोग को गहरा करने के मुद्दों पर चर्चा की और व्यावहारिक घटक पर जोर देने के साथ निकट भविष्य के लिए गतिविधियों की एक सूची पर सहमति व्यक्त की। यह कार्यकारी बैठक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान आयोजित की गई।
बैठक के बाद रक्षा मंत्री सिंह ने एक्स पर पोस्ट किया, किंगदाओ में बेलारूसी रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल विक्टर ख्रेनिन के साथ बातचीत समृद्ध हुई। 2023 में एससीओ की भारत की पहली अध्यक्षता के तहत ईरान एक नए सदस्य के रूप में एससीओ परिवार में शामिल हुआ और बेलारूस की एससीओ सदस्यता के लिए दायित्व ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
इससे पहले, सिंह ने अपने रूसी समकक्ष एंड्री बेलौसोव से भी मुलाकात की, जिसमें रक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक और व्यापक सहयोग पर चर्चा की गई।
सिंह ने एक्स पर पोस्ट में कहा, किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान रूस के रक्षा मंत्री एंड्री बेलौसोव से मिलकर खुशी हुई। हमने भारत-रूस रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने पर गहन विचार-विमर्श किया।
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