बांग्लादेश में बच्ची की मौत के बाद भड़की हिंसा में तीन की मौत, उठी निष्पक्ष जांच की मांग

बांग्लादेश में बच्ची की मौत के बाद भड़की हिंसा में तीन की मौत, उठी निष्पक्ष जांच की मांग

बांग्लादेश में बच्ची की मौत के बाद भड़की हिंसा में तीन की मौत, उठी निष्पक्ष जांच की मांग

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IANS
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B'desh: Rights bodies demand probe after Khagrachhari violence kills over 3 tribals

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

ढाका, 29 सितंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश के खगराछारी जिले में एक स्कूली छात्रा से सामूहिक बलात्कार के विरोध में हुए प्रदर्शनों में तीन आदिवासियों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हो गए। घटना के बाद कई मानवाधिकार, सांस्कृतिक और राजनीतिक समूहों ने हिंसा की तत्काल जांच की मांग की है।

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स्थानीय मीडिया ने बताया कि यह घटना रविवार दोपहर खगराछारी के गुइमारा उपजिला के रामेसु बाजार में हुई, जहां जुम्मा छात्र जनता के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ झड़प हो गई।

खगराछारी जिले के सिविल सर्जन मोहम्मद सबरे ने हिंसा में आदिवासियों की मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि गुइमारा से रविवार शाम तीन लोगों को खगराछारी सदर अस्पताल में मृत लाया गया।

सांप्रदायिक हिंसा में 15 घरों और 60 दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया, जिससे जनता और मानवाधिकार संगठनों में व्यापक आक्रोश फैल गया।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश (टीआईबी) ने इस हिंसक घटना पर सवाल उठाया कि एक और युवती पर हुए क्रूर हमले के बाद न्याय की जायज मांग उठाकर लोगों ने कौन सा अपराध किया।

अधिकार संस्था ने पूछा कि मूलनिवासी महिलाओं से बलात्कार को सामान्य बनाने की कोशिशें कोई नई बात नहीं हैं। सेना के अधीन स्थानीय प्रशासन और पुलिस इस हिंसा को रोकने के लिए समय पर और प्रभावी रणनीति क्यों नहीं अपना पाई?

बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र द डेली स्टार ने टीआईबी के कार्यकारी निदेशक इफ्तेखारुजम्मां के हवाले से पूछा, क्या यह निहित स्वार्थों की विनाशकारी साजिशों के प्रति उदासीनता या मिलीभगत है, जिसके जरिए मूलनिवासियों के अधिकारों का व्यवस्थित हनन और जातीय दमन को सामान्य बनाया जा रहा है?

घटना की निंदा करते हुए बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने मांग की है कि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार सांप्रदायिक हिंसा को तुरंत समाप्त करे, दोषियों को गिरफ्तार करे, पीड़ितों को उनके नुकसान की भरपाई करे और प्रभावित समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।

बांग्लादेश उदिची शिल्पीगोष्ठी संगठन ने ने भी सांप्रदायिक हमलों की कड़ी निंदा की। संगठन ने कहा कि बर्बर हमले और बलात्कार की घटनाएं अमानवीय, लोकतंत्र-विरोधी और मानवता के लिए कलंक हैं। ऐसे जघन्य अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों की बिना देरी के पहचान की जाए, उन्हें तुरंत न्याय के कठघरे में लाया जाए और उन्हें कड़ी सजा दी जाए।

नारीबाड़ी के बैनर तले 84 महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने बलात्कार की घटना के दोषियों पर तुरंत मुकदमा चलाने और उन्हें सजा देने की मांग की।

उन्होंने इस बात पर जोर डाला कि पिछले वर्ष भी खगराछारी में सात आदिवासी महिलाओं से बलात्कार किया गया था और हर बार पीड़ितों के लिए न्याय मांग रहे प्रदर्शनकारियों को हमलों, कानूनी कार्यवाही में देरी और राज्य के समर्थन की कमी का सामना करना पड़ा।

पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश कई विरोध प्रदर्शनों और घोर अराजकता की चपेट में हैं।

यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की बढ़ती घटनाओं ने देश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति को उजागर किया।

-- आईएएनएस

कनक/वीसी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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