बांग्लादेश सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे कर्मचारी, 'काला कानून' वापस लेने की मांग

बांग्लादेश सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे कर्मचारी, 'काला कानून' वापस लेने की मांग

बांग्लादेश सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे कर्मचारी, 'काला कानून' वापस लेने की मांग

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IANS
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Dhaka: Chief Adviser Professor Muhammad Yunus pays tribute to martyred intellectuals at the Martyred Intellectual Memorial

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

ढाका, 19 जून (आईएएनएस)। बांग्लादेश सचिवालय में गुरुवार को सैकड़ों अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक बार फिर से मोहम्मद यूनुस सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया और विवादित सरकारी सेवा (संशोधन) अध्यादेश को वापस लेने की मांग की।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अध्यादेश को काला कानून करार देते हुए कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो विरोध और अधिक उग्र किया जाएगा।

बांग्लादेश सचिवालय अधिकारी-कर्मी एकता मंच के नेता नुरुल इस्लाम ने कहा, “हम इस काले कानून को रद्द करने की मांग करते हैं। इसके साथ ही हम 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता और फासीवादी सोच रखने वाले अधिकारियों को हटाने की भी मांग करते हैं।”

बदिउल कबीर ने कहा, “जब तक अध्यादेश को पूरी तरह से रद्द नहीं किया जाता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।”

इससे पहले इस सप्ताह, एकता मंच ने सरकार के रवैए के खिलाफ सचिवालय के बदमताल इलाके में एक विशाल रैली आयोजित करने की चेतावनी दी थी।

मंच के महासचिव मुजाहिदुल इस्लाम सलीम ने अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरुल पर सवाल उठाते हुए कहा, “उन्होंने कहा कि जब यह कानून पास हुआ, तब वे देश से बाहर थे। अगर वे मौजूद होते, तो यह अध्यादेश पास ही नहीं होता।”

उन्होंने आगे कहा, “हम कोई उपद्रवी नहीं हैं, न ही सड़कों पर नारेबाजी करने वाले लोग हैं। फिर भी हमें क्यों उकसाया जा रहा है?”

इससे पहले सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए सलाहकार आसिफ नजरुल ने माना कि इस अध्यादेश से सरकारी कर्मचारियों के उत्पीड़न की आशंका बनी हुई है और इसमें कुछ संशोधन की गुंजाइश जरूर है।

उन्होंने कहा, “यह कानून दुर्भावना से नहीं बनाया गया, लेकिन जिनके लिए यह लागू हुआ है, वे परेशान हो सकते हैं। मैं मानता हूं कि इस कानून के कुछ हिस्से विचार योग्य हैं।”

बता दें कि 22 मई को अंतरिम प्रशासन की सलाहकार परिषद की बैठक में इस अध्यादेश के मसौदे को मंजूरी दी गई थी, जिसके बाद से ही सचिवालय में कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, संशोधित अध्यादेश के तहत यदि कोई सरकारी कर्मचारी आदेश न माने, बिना अनुमति के गैरहाजिर रहे या दूसरों को काम करने से रोके, तो यह दंडनीय अपराध माना जाएगा, जिसमें पदावनति, बर्खास्तगी या सेवा से निष्कासन जैसी सजा का प्रावधान है।

–आईएएनएस

डीएससी/एबीएम

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