बांग्लादेश: 'जुलाई आंदोलन' के पीड़ित परिवार सड़क पर उतरे, यूनुस के कानूनी सलाहकार के इस्तीफे की मांग

बांग्लादेश: 'जुलाई आंदोलन' के पीड़ित परिवार सड़क पर उतरे, यूनुस के कानूनी सलाहकार के इस्तीफे की मांग

बांग्लादेश: 'जुलाई आंदोलन' के पीड़ित परिवार सड़क पर उतरे, यूनुस के कानूनी सलाहकार के इस्तीफे की मांग

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IANS
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Students Protest in Dhaka causes major traffic chaos and disruptions

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

ढाका, 19 अगस्त (आईएएनएस)। बांग्लादेश में पिछले साल जुलाई के प्रदर्शनों में मारे गए और घायल हुए लोगों के परिजनों ने मंगलवार को ढाका स्थित सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन करते हुए अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार असीफ नजरुल के इस्तीफे की मांग की।

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प्रदर्शन की शुरुआत नेशनल प्रेस क्लब से हुई, जहां से जुलूस निकालकर प्रदर्शनकारी सचिवालय पहुंचे और वहां धरना दिया। इससे इलाके में भारी जाम लग गया।

प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, “इस्तीफा दो, इस्तीफा दो, असीफ नजरुल इस्तीफा दो”, “एक ही मांग, एक ही बात, असीफ नजरुल इस्तीफा दो”, “हत्यारे बाहर घूम रहे हैं, न्यायपालिका क्या कर रही है”, “मेरा भाई कब्र में है, हत्यारा बाहर क्यों है”, “भाई का खून व्यर्थ नहीं जाने देंगे।”

पीड़ितों में से एक बुलबुल करीम, जिनके बेटे की मौत जुलाई आंदोलन में हुई थी, उन्होंने कहा, “एक साल बीत जाने के बाद भी हमें इंसाफ नहीं मिला। सरकार न्याय का मजाक बना रही है। हम देखते हैं कि आरोपी पैसे देकर जमानत पा रहे हैं और कानून सलाहकार कोई कार्रवाई नहीं कर रहे।”

जुलाई आंदोलन में घायल हुए अमीनुल इस्लाम ने चेतावनी दी, “अगर जुलाई के घायलों को फिर से सड़क पर उतरना पड़ा, तो नतीजे अच्छे नहीं होंगे। मृतकों और घायलों के परिवार किसी से नहीं डरते। सरकार को यह याद रखना चाहिए।”

मारे गए छात्र अहनाफ की मां सफात सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के साथ बदसलूकी की और मारपीट भी की। उन्होंने कहा, “पुलिस ने हमें गालियां दीं, जिन्हें मैं दोहरा भी नहीं सकती। उन्होंने मुझे लात मारी। हम यहां सिर्फ न्याय की मांग लेकर आए थे।”

हालांकि, रमना डिवीजन पुलिस के उपायुक्त मसूद आलम ने कहा कि पीड़ित परिवारों की मांगें अधिकारियों तक पहुंचाई जाएंगी, लेकिन सड़क जाम से आम जनता को परेशानी हुई।

गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्र आंदोलन हिंसक हो गया था, जिसके चलते पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को अपदस्थ होना पड़ा। अगस्त 2024 में हसीना का अचानक सत्ता से बाहर होना वैश्विक स्तर पर बांग्लादेश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बड़ा झटका माना गया। सीना की विदाई के बाद से देश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के दौरान लगातार विरोध-प्रदर्शन और अराजकता का माहौल बना हुआ है।

--आईएएनएस

डीएससी/

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