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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
क्वेटा, 8 सितंबर (आईएएनएस)। एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन के अनुसार, पाकिस्तानी सेना समर्थित मौत दस्तों ने तीन बलूच नागरिकों की न्यायेतर (न्याय या कानूनी प्रक्रिया के बाहर जाकर) हत्या कर दी।
बलूच नेशनल मूवमेंट के मानवाधिकार विभाग, पांक ने न्यायेतर हत्याओं की निंदा करते हुए बताया कि मुल्ला बहराम बलूच और इजहार मुजीब की शनिवार सुबह बलूचिस्तान के मांड इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि जलाल बलूच की उसी शाम गोमाजी क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
इसमें आगे कहा गया है कि ये हमले पाकिस्तानी सेना समर्थित मौत दस्तों की ओर से किए गए।
संस्था ने कहा, ऐसे कृत्य जबरन गायब करने, मनमाने ढंग से हत्या करने और व्यवस्थित दमन के एक व्यापक अभियान का हिस्सा प्रतीत होते हैं, जो मानवता के विरुद्ध अपराध हो सकते हैं और बलूचिस्तान में चल रहे संकट में योगदान दे रहे हैं।
पांक ने पाकिस्तानी अधिकारियों से इन हत्याओं की तुरंत स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने, जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने और कमजोर समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
मानवाधिकार संस्था ने संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप करने, स्थिति पर नजर रखने और बलूचिस्तान में व्यवस्थित नरसंहार और मानवाधिकार उल्लंघन को समाप्त करने के लिए दबाव बनाने का आह्वान किया।
इससे पहले, शनिवार को, कई मानवाधिकार संगठनों ने बलूच किशोर इजहार की मौत के दस्तों द्वारा न्यायेतर हत्या की कड़ी निंदा की थी।
रिपोर्टों का हवाला देते हुए, मानवाधिकार संस्था बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) ने कहा कि मौत के दस्तों ने इजहार पर उस समय गोलियां चलाईं जब वह अपनी दुकान पर था। गंभीर रूप से घायल होने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अत्यधिक रक्तस्राव के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
बलूच वॉयस फॉर जस्टिस (बीवीजे) ने इस भयावह घटना की तीखी आलोचना करते हुए कहा, बलूचिस्तान में जबरन गायब किए जाने, न्यायेतर हत्याओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हमले और टारगेट किलिंग की घटनाएं बलूच लोगों के नरसंहार का स्पष्ट संकेत देती हैं।
बलूचिस्तान के लोग वर्तमान में पाकिस्तान से अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
बलूचिस्तान के विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने बार-बार प्रांत में पाकिस्तानी सेना द्वारा किए जा रहे दमन को उजागर किया है, जिसमें बलूच नेताओं और नागरिकों के घरों पर हिंसक छापे, गैरकानूनी गिरफ्तारियां, जबरन अगवा करना, मार डालो और फेंक दो की नीति, लोक व्यवस्था बनाए रखने संबंधी अध्यादेश के तहत नजरबंदी और मनगढ़ंत पुलिस मामले दर्ज करना शामिल है।
--आईएएनएस
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