बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लघंन के बढ़ रहे मामले: अवामी लीग

बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लघंन के बढ़ रहे मामले: अवामी लीग

बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लघंन के बढ़ रहे मामले: अवामी लीग

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IANS
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Awami League warns of escalating human rights violations in Bangladesh under Yunus regime

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

ढाका, 25 अगस्त (आईएएनएस)। अवामी लीग पार्टी ने बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघन के बढ़ते मामलों को लेकर फिक्र जाहिर की है। पार्टी का कहना है कि मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के शासन में पत्रकारों से अपराधियों से बर्ताव हो रहा है, उनके कार्यकर्ताओं को राज्य का दुश्मन करार दिया जा रहा है और आम लोग डर के साए में जी रहे हैं।

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बांग्लादेश ह्युमन राइट्स क्राइसिस: वॉयसेस साइलेंस्ड, फ्रीडम्स क्रश्ड, फियर एवरीवेयर (बांग्लादेश का मानवाधिकार संकट: आवाजें दबाई गईं, आजादी को कुचला गया, खौफ का माहौल हर जगह) शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में, पार्टी ने कहा कि पत्रकारों, लेखकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न, मनमानी गिरफ्तारियां और जबरन अगवा करना पूरे बांग्लादेश में काफी बड़े स्तर पर हो रहा है।

रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है, अगस्त 2024 और जुलाई 2025 के बीच, 496 पत्रकारों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जबकि तीन पत्रकारों ने अपनी ड्यूटी के दौरान जान गंवा दी। कई मीडियाकर्मियों को लगातार धमकियों और अदालती समन का सामना करना पड़ रहा है, जिससे ऐसा माहौल बन रहा है जहां अपनी बात रखना भी मुश्किल हो गया है।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद देश भर में पत्रकारों पर हुए अत्याचारों पर प्रकाश डालते हुए, पार्टी ने कहा कि दमन ने एक और भी गंभीर मोड़ ले लिया है जब पत्रकारों और लेखकों को झूठे हत्या और हमले के आरोपों में अदालतों में घसीटा जा रहा है, जो उन घटनाओं से जुड़े हैं जिनमें उनकी कोई संलिप्तता नहीं थी।

रिपोर्ट के अनुसार, ढाका, सिलहट, चटगांव और दर्जनों अन्य जिलों में, अनुभवी और स्थानीय पत्रकारों को मनगढ़ंत मामलों में फंसाया गया है।

पार्टी ने रिपोर्ट में 2025 की पहली छमाही में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ 258 सांप्रदायिक हमलों का जिक्र किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, रंगपुर जिले में, हिंदू परिवार असहाय होकर देखते रहे जब उनके घरों को उन्मादी हमलावरों ने आग लगा दी, लूट लिया और ध्वस्त कर दिया। ये हमले कोई छिटपुट घटनाएं नहीं थीं, बल्कि धमकी के एक पैटर्न का हिस्सा थीं, जो एक स्पष्ट संदेश है कि देश में अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। जिन पीड़ितों ने विरोध करने की हिम्मत की, उन्हें पीटा गया, जबकि अन्य भाग गए और अपनी ही मातृभूमि में विस्थापन के लिए मजबूर हो गए।

बांग्लादेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के एक परेशान करने वाले पैटर्न को उजागर करने वाली देश भर की रिपोर्टों का हवाला देते हुए, पार्टी ने कहा कि महिलाओं को न केवल उनके राजनीतिक जुड़ाव या पेशे के लिए, बल्कि कट्टरपंथी विचारधारा के निर्धारित संकीर्ण, दमघोंटू मानकों से बाहर रहने के लिए भी निशाना बनाया जाता है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, महिला छात्राओं और पेशेवरों पर उनके पहनावे के लिए हमला किया गया है, अपनी बात कहने के लिए उन्हें परेशान किया गया है, और कट्टरपंथी विचारों को चुनौती देने के लिए उन्हें पीटा गया है। यहां तक कि सड़कों पर आम महिलाओं को भी नहीं बख्शा जाता; उत्पीड़न, हमला और धमकियां आम बात हो गई हैं, जिससे ऐसा माहौल बन गया है जहां जिंदा रहने का मतलब चुप्पी है।

यह कहते हुए कि बांग्लादेशी अकेले इस लड़ाई से नहीं लड़ सकते, पार्टियों ने संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार निकायों और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया सहित वैश्विक समुदाय से आग्रह किया कि वे देश को दमन में डूबने से पहले बचा लें।

--आईएएनएस

केआर/

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