ऑस्ट्रेलिया में एचआईवी मामलों में गिरावट, सामान्य यौन रोगों में तेजी से बढ़ोतरी

ऑस्ट्रेलिया में एचआईवी मामलों में गिरावट, सामान्य यौन रोगों में तेजी से बढ़ोतरी

ऑस्ट्रेलिया में एचआईवी मामलों में गिरावट, सामान्य यौन रोगों में तेजी से बढ़ोतरी

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IANS
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Australia reports decline in HIV, surge in common STIs

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

कैनबरा, 15 सितंबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलिया की 2024 यौन स्वास्थ्य रिपोर्ट में मानव इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के मामलों में कमी दर्ज की गई है, लेकिन इसके साथ ही सामान्य यौन संचारित रोगों (एसटीआई) में खतरनाक वृद्धि सामने आई है।

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न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के किर्बी इंस्टीट्यूट द्वारा सोमवार को जारी ऑस्ट्रेलिया का 2024 यौन स्वास्थ्य चेक-अप के अनुसार पिछले एक दशक में सिफलिस और गोनोरिया (सूजाक) के मामलों में दोगुनी से भी ज्यादा वृद्धि हुई है। वर्ष 2024 में सिफलिस के 5,866 और गोनोरिया के 44,210 मामले दर्ज किए गए।

एडिलेड में आयोजित ऑस्ट्रेलियन एचआईवी एवं एड्स सम्मेलन में जारी इस राष्ट्रीय निगरानी रिपोर्ट ने बताया कि यौन स्वास्थ्य जांच में गंभीर खामियां हैं और बीते दशक में सिफलिस व गोनोरिया के मामलों में तीव्र वृद्धि हुई है।

महिलाओं में सिफलिस के मामलों में चार गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे जन्मजात सिफलिस का खतरा भी बढ़ा है। 2015 से अब तक ऐसे मामलों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है और 34 शिशुओं की मौत हुई है, जिनमें आदिवासी समुदाय सर्वाधिक प्रभावित हुआ है।

ऑस्ट्रेलिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी माइकल किड ने कहा, “ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों और स्वास्थ्यकर्मियों में जागरूकता बढ़ाकर हम सुनिश्चित कर सकते हैं कि अधिक लोग सिफलिस की जांच और इलाज कराएं, जिससे इसके प्रसार को रोका जा सके।”

रिपोर्ट के अनुसार, क्लैमाइडिया अभी भी ऑस्ट्रेलिया का सबसे आम यौन रोग है। 2024 में इसके 1,01,742 मामले दर्ज किए गए, जिनमें ज्यादातर 20 से 29 वर्ष आयु वर्ग के लोग हैं। हालांकि एसटीआई तेजी से बढ़ रहे हैं, फिर भी 16 से 49 वर्ष की आयु के केवल 16 प्रतिशत ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों ने कभी एसटीआई की जांच कराई है।

एचआईवी मामलों में पिछले एक दशक में 27 प्रतिशत की गिरावट आई है और 2024 में 757 मामले दर्ज किए गए। हालांकि हाल के वर्षों में इसमें हल्की बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिससे 2030 तक एचआईवी के वर्चुअल उन्मूलन के लक्ष्य को बनाए रखने की आवश्यकता रेखांकित होती है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2024 में दर्ज एचआईवी मामलों में लगभग एक-तिहाई ऐसे थे, जिनका निदान देर से हुआ। इसका मतलब है कि मरीज कम से कम चार साल तक बिना जानकारी के एचआईवी के साथ जी रहे थे। विशेषज्ञों ने कहा कि अधिक सुलभ जांच, जिसमें सेल्फ-टेस्टिंग भी शामिल है, की तत्काल आवश्यकता है।

एचआईवी एक यौन रोग है, जिसका इलाज न होने पर यह एड्स में परिवर्तित हो सकता है। वहीं अन्य एसटीआई रोग एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ा सकते हैं, क्योंकि इनसे त्वचा पर घाव या सूक्ष्म दरारें बन सकती हैं, जिनसे वायरस फैलने की संभावना बढ़ जाती है।

--आईएएनएस

डीएससी/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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