ऑस्ट्रेलिया को डरा रहा डिमेंशिया, रिपोर्ट में दावा '2065 तक पीड़ितों की संख्या पहुंचेगी 10 लाख के पार'

ऑस्ट्रेलिया को डरा रहा डिमेंशिया, रिपोर्ट में दावा '2065 तक पीड़ितों की संख्या पहुंचेगी 10 लाख के पार'

ऑस्ट्रेलिया को डरा रहा डिमेंशिया, रिपोर्ट में दावा '2065 तक पीड़ितों की संख्या पहुंचेगी 10 लाख के पार'

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IANS
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Australia faces rising dementia burden with over 1 million cases by 2065

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

कैनबरा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। डिमेंशिया यानी मनोभ्रंश ऑस्ट्रेलिया को डरा रहा है। शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी हुई जिसके मुताबिक साल 2065 तक 10 लाख से अधिक आस्ट्रेलियाई लोगों के डिमेंशिया पीड़ित होने का अनुमान है।

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ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर की अपडेटेड रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में डिमेंशिया की संख्या अगले दो दशक में काफी बढ़ जाएगी। 2024 में जहां इसके मरीजों की संख्या 425,000 थी वहीं अनुमान है कि 2065 में बढ़कर 1.1 मिलियन हो जाएगी।

वर्तमान में डिमेंशिया से पीड़ित महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। पूर्वानुमान है कि 2024 में 266,000 महिलाएं और 159,000 पुरुष इसकी चपेट में होंगे। रिपोर्ट की मानें तो 2065 तक यह संख्या बढ़ सकती है, जिसमें महिलाओं की अनुमानित संख्या 662,000 और पुरुषों की 390,000 हो सकती है।

रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया में मौतों को लेकर एक बहुत खतरनाक तस्वीर दिखाती है। बताती है कि 2023 में डिमेंशिया मृत्यु का प्रमुख कारण रहा। इसकी वजह से करीब 17,400 लोगों की जान गई, जिनमें 10,900 महिलाएं और 6,500 पुरुष शामिल थे। ये सभी अल्जाइमर, वैस्कुलर डिमेंशिया, अनस्पेसिफाइड (अनिर्दिष्ट) डिमेंशिया और लेवी बॉडी डिमेंशिया जैसी किसी परेशानी से जूझ रहे थे।

डिमेंशिया ऑस्ट्रेलिया की सीईओ तान्या बुकानन ने कहा कि 15-21 सितंबर को डिमेंशिया एक्शन वीक से पहले जारी की गई यह रिपोर्ट ऑस्ट्रेलियाई परिवारों पर डिमेंशिया के व्यापक खतरे को उजागर करती है।

सिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक, रिपोर्ट में केयरटेकर्स की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। बताया गया कि 2022 में डिमेंशिया पीड़ितों की देखभाल करने वालों ने हफ्ते में करीब 60 घंटे का समय समर्पित किया।

डिमेंशिया कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि लक्षणों के समूह का एक व्यापक शब्द है। इससे स्मृति, सोच, तर्क, निर्णय और व्यवहार संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं जो दैनिक जीवन पर नकारात्मक असर डालती हैं। यह मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाली बीमारियों के कारण होता है, और अल्जाइमर इसका सबसे आम कारण है। हालांकि याददाश्त कमजोर होना एक सामान्य लक्षण है, कइयों को बोलने में कठिनाई होती है, तो कुछ के व्यवहार में अचानक परिवर्तन आ जाता है। इससे दैनिक कार्यों को पूरा करने में समस्याएं आती हैं। डिमेंशिया उम्र बढ़ने का एक सामान्य हिस्सा नहीं है, हालांकि यह वृद्ध लोगों में अधिक आम है।

65 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 5 से 8 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार के डिमेंशिया से ग्रस्त होते हैं, और इस आयु के बाद यह संख्या हर पांच वर्ष में दोगुनी हो जाती है। अनुमान है कि 85 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग आधे लोग डिमेंशिया ग्रस्त हैं।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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