'मछली प्रसादम' का सालाना आयोजन शुरू, अस्थमा मरीजों की लगी कतारें

'मछली प्रसादम' का सालाना आयोजन शुरू, अस्थमा मरीजों की लगी कतारें

'मछली प्रसादम' का सालाना आयोजन शुरू, अस्थमा मरीजों की लगी कतारें

author-image
IANS
New Update
Asthma patients line up at Hyderabad's Exhibition Grounds to take 'fish prasadam'

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

हैदराबाद, 8 जून (आईएएनएस)। हैदराबाद में रविवार को वार्षिक कार्यक्रम मछली प्रसादम शुरू हुआ, जिसमें अस्थमा और सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे सैकड़ों लोग कतार में खड़े दिखाई दिए।

तेलंगाना के परिवहन मंत्री पोन्नम प्रभाकर और सांसद अनिल कुमार यादव ने नामपल्ली के प्रदर्शनी मैदान में मछली प्रसादम का उद्घाटन किया।

राज्य मंत्री पोन्नम प्रभाकर बथिनी गौड़ परिवार से मछली प्रसादम लेने वाले पहले व्यक्ति थे।

बता दें कि मछली प्रसादम नामक पारंपरिक चिकित्सा कार्यक्रम का आयोजन करने वाले बथिनी हरिनाथ गौड़ का निधन साल 2023 में हुआ था। उन्होंने 84 साल की उम्र में आखिरी सांस ली थी। बथिनी परिवार पिछले 100 से भी अधिक वर्षों से मछली प्रसादम का आयोजन करता आ रहा है।

बथिनी परिवार ने मछली प्रसाद देने के लिए 13 काउंटर लगाए हैं। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और देश के दूसरे हिस्सों से आने वाले मरीजों के लिए कुल 42 कतारों की व्यवस्था की गई है।

मछली प्रसाद का वितरण सुबह 10 बजे से शुरू हुआ और यह 24 घंटे लगातार जारी रहेगा।

बथिनी गौड़ परिवार के लोग ये चमत्कारी औषधि मृगशिरा कार्ति (जून के पहले हफ्ते में होता है) के समय देते हैं। यह समय मानसून यानी बारिश के मौसम के शुरू होने का संकेत होता है।

बथिनी परिवार एक पीले रंग का हर्बल पेस्ट बनाता है। यह पेस्ट एक जिंदा मुरेल नाम की छोटी मछली के मुंह में लगाया जाता है। फिर यह मछली मरीज के गले में डाली जाती है। ऐसा मानते हैं कि अगर यह इलाज तीन साल लगातार चलाया जाए तो इससे फायदा पहुंचता है। शाकाहारी लोगों के लिए परिवार गुड़ के साथ दवा देता है। देश के कई जगहों से अस्थमा के मरीज हैदराबाद आते हैं।

तेलंगाना के मत्स्य विभाग ने घोषणा की है कि वह सालाना इस आयोजन के लिए 1.5 लाख छोटी मछलियां मुहैया कराएगा।

पुलिस ने कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए कार्यक्रम स्थल पर व्यापक व्यवस्था की है। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था के तहत 70 सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं।

राजस्व विभाग, सड़क और भवन विभाग, ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (जीएचएमसी), बिजली विभाग और दूसरे विभागों ने भी जरूरी सुविधाएं देने की तैयारी की है ताकि आने वाले लोगों को कोई परेशानी न हो।

स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कैंप लगाए हैं और एंबुलेंस भी तैयार रखी हैं। अग्निशमन विभाग को भी अलर्ट पर रखा गया है।

ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (जीएचएमसी) उन गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम कर रही है जो मरीजों के लिए भोजन उपलब्ध करा रहे हैं।

सिकंदराबाद, काचीगुडा और चेरलापल्ली रेलवे स्टेशनों से प्रदर्शनी मैदान तक विशेष बसें चलायी जा रही हैं ताकि मरीज आसानी से यहां पहुंच सकें।

बथिनी गौड़ परिवार का कहना है कि वह लगभग 180 सालों से मछली की दवा मुफ्त में बांट रहे हैं। इस हर्बल दवा का राज उनके पुरखों को साल 1845 में एक संत ने दिया था। उस संत से उनके पुरखों ने वादा किया था कि ये दवा वह हमेशा मुफ्त में देंगे। इस वादे को परिवार के सदस्य आज भी निभा रहे हैं।

हर्बल पेस्ट की सामग्री पर विवादों के चलते पिछले 15 सालों में इस दवा की लोकप्रियता कम हुई है।

लोगों में वैज्ञानिक सोच बढ़ाने का काम करने वाले कुछ समूहों ने मछली की दवा को धोखाधड़ी करार दिया। उन्होंने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया, जिसमें दावा किया गया कि चूंकि हर्बल पेस्ट में भारी धातु हैं, इसलिए यह सेहत के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।

वहीं, गौड़ परिवार का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर जो लैब में जांच हुई, उसमें यह हर्बल पेस्ट सुरक्षित पाया गया।

कुछ लोगों से मिली चुनौती के बाद गौड़ परिवार ने इसे मछली प्रसादम कहना शुरू कर दिया। विवादों के बावजूद हर साल लोग इस जगह पर बड़ी संख्या में आते हैं। हालांकि, पहले की तुलना में अब आने वाले लोगों की संख्या कम हो गई है।

--आईएएनएस

पीके/केआर

Advertisment

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
Advertisment