गुवाहाटी, 3 जून (आईएएनएस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि शहरों और कस्बों के अंदर और आसपास वेटलैंड का संरक्षण शहरी बाढ़ को कम करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।
बाढ़ की मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए कछार जिले के सिलचर दौरे पर पहुंचे सरमा ने वेटलैंड के खत्म होने से उत्पन्न पर्यावरणीय खतरे को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सिलचर और उसके आसपास के वेटलैंड्स, जैसे मालिनी बील, महीशा बील, रंगिरखाल और सिंगर खाल प्राकृतिक जलाशयों के रूप में काम करने वाले एक जीवंत इकोसिस्टम का प्रतिनिधित्व करती हैं और इन वेटलैंड की सुरक्षा से शहर में शहरी बाढ़ के प्रबंधन में काफी मदद मिलेगी।
प्राकृतिक जल निकासी बेसिन के रूप में वेटलैंड्स की प्रभावशीलता को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने टिप्पणी की कि जब वेटलैंड्स खत्म हो जाती हैं, तो स्थिति गड़बड़ हो जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार शहरी बाढ़ संकट को स्थायी रूप से संबोधित करने के लिए दीर्घकालीन नीतिगत उपायों पर विचार कर रही है।
सरमा ने सिलचर शहर में अपने आगमन पर सरकारी बॉयज एचएस स्कूल, नॉर्मल स्कूल, केंद्रीय विद्यालय सिलचर, हिरोन प्रोवा शिशु मंदिर, मालिनी बील में कॉस्मिक मार्केट और उकिल बाजार एलपी स्कूल में स्थापित छह राहत शिविरों का दौरा किया। उन्होंने शिविर में रहने वाले लोगों से बातचीत की और उनकी चिंताओं को सीधे तौर पर समझा।
मुख्यमंत्री ने जिला आयुक्त मृदुल यादव को शिविर में रहने वाले लोगों को सभी आवश्यक राहत सामग्री उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। उन्होंने प्रशासन को वरिष्ठ नागरिकों, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों की जरूरतों पर विशेष ध्यान देने और 24/7 चिकित्सा देखभाल और सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल तक पहुंच सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
सरमा ने कहा कि उनकी सरकार बाढ़ की मौजूदा लहर से प्रभावित सभी लोगों के लिए समय पर सहायता, पुनर्वास और सहायता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जैसे ही बाढ़ का पानी कम होगा, शिविर में रहने वाले लोगों को उनके घर वापस लौटने में मदद करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।
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