भारत-म्यांमार आध्यात्मिक संबंधों पर प्रकाश डालती है एएसआई की 'महाबोधि फया प्रदर्शनी'

भारत-म्यांमार आध्यात्मिक संबंधों पर प्रकाश डालती है एएसआई की 'महाबोधि फया प्रदर्शनी'

भारत-म्यांमार आध्यात्मिक संबंधों पर प्रकाश डालती है एएसआई की 'महाबोधि फया प्रदर्शनी'

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IANS
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ASI's Mahabodhi Phaya exhibition highlights India-Myanmar spiritual ties

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नेपीडॉ, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने म्यांमार के बागान शहर में बौद्ध मंदिर महाबोधि फया में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें पुनर्स्थापित स्मारकों की पहले और बाद की तस्वीरें प्रदर्शित की गईं।

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इस प्रदर्शनी ने स्मारकों के जीर्णोद्धार में एएसआई के योगदान को उजागर किया और भारत-म्यांमार के बीच सदियों पुराने आध्यात्मिक संबंधों की पुष्टि की।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता म्यांमार में भारतीय राजदूत अभय ठाकुर और पुरातत्व विभाग एवं राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक क्याव ऊ ल्विन ने स्मारक संख्या 1670, महाबोधि फया में की।

इस दौरान, राजदूत अभय ठाकुर ने एएसआई टीम और जीर्णोद्धार कार्यों में लगे स्थानीय कारीगरों से भी बातचीत की।

म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास ने शनिवार को एक्स पर पोस्ट किया, राजदूत ने हमारी एएसआई टीम और स्थानीय कारीगरों से भी बातचीत की। जीर्णोद्धार से पहले और बाद के स्मारकों की तस्वीरों वाली एएसआई प्रदर्शनी उनके अपार योगदान को दर्शाती है। बोधगया की 1215 ईस्वी की प्रतिकृति, महाबोधि फया बागान, हमारे सदियों पुराने आध्यात्मिक संबंधों की याद दिलाती है।

बागान में भूकंप प्रभावित पगोड़ा के जीर्णोद्धार एवं संरक्षण कार्यों के दूसरे चरण का औपचारिक उद्घाटन शुक्रवार को महाबोधि पगोड़ा में हुआ, जहां यह प्रदर्शनी आयोजित की गई थी।

दूतावास ने इसे लेकर बयान जारी किया। कहा है, पुरातत्व विभाग, बागान के साथ घनिष्ठ समन्वय और स्थानीय कारीगरों के सहयोग से, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की चार सदस्यीय टीम लगभग 50 स्मारकों पर आगे का कार्य करेगी। एएसआई के रासायनिक संरक्षण और भौतिक जीर्णोद्धार विशेषज्ञों को इस क्षेत्र में वर्षों का अनुभव है, जिसमें प्रतिष्ठित आनंद मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ-साथ बागान जीर्णोद्धार परियोजना के पहले चरण के तहत 11 स्मारकों का जीर्णोद्धार भी शामिल है।

इसमें आगे उल्लेख किया गया है कि बागान जीर्णोद्धार परियोजना के पहले चरण के तहत 11 पुनर्स्थापित स्मारक (22 कार्य) 13 दिसंबर, 2024 को म्यांमार को सौंप दिए गए थे।

दूतावास ने आगे कहा, कार्यक्रम के दौरान पहले चरण की एक फोटो प्रदर्शनी भी लगाई गई। परियोजना का दूसरा चरण अब तक किए गए सफल कार्यों के संयोजन का काम करेगा।

यह परियोजना म्यांमार की अमूल्य धार्मिक विरासत के दीर्घकालिक संरक्षण के साथ-साथ भारत और म्यांमार के लोगों के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करने के प्रति भारत सरकार की स्थायी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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