पाकिस्तान में असीम मुनीर का सीडीएफ बनना संस्थागत गिरावट का प्रतीक: सिंधी नेता शफी बुरफत

पाकिस्तान में असीम मुनीर का सीडीएफ बनना संस्थागत गिरावट का प्रतीक: सिंधी नेता शफी बुरफत

पाकिस्तान में असीम मुनीर का सीडीएफ बनना संस्थागत गिरावट का प्रतीक: सिंधी नेता शफी बुरफत

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IANS
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Asim Munir’s rise as Pakistan’s Chief of Defence Forces symbolises deep institutional decay: Sindhi leader

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

बर्लिन, 23 दिसंबर (IANS) जेय सिंध मुत्तहिदा महाज (जेएसएमएम) के चेयरमैन शफी बुरफत ने मंगलवार को पाकिस्तान के फील्ड मार्शल और डिफेंस फोर्सेज के चीफ असीम मुनीर की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि वह मिलिट्री की काबिलियत नहीं, बल्कि एक ऐसे देश की संस्थागत गिरावट का प्रतीक है, जिस पर उसके अपने ही सुरक्षा प्रतिष्ठान ने कब्जा कर लिया है।

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सिंधी नेता शफी बुरफत ने कहा कि असीम मुनीर की सबसे ऊंचे औपचारिक पद चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (सीडीएफ) पर पदोन्नति पेशेवर काबिलियत के बजाय बेकाबू मिलिट्री पावर को दिखाती है। उन्होंने एक भी अंतर्राष्ट्रीय या निर्णायक घरेलू युद्ध नहीं लड़ा या जीता है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शफी बुरफत ने लिखा, “काबिलियत के बजाय दबाव और ताकत से हासिल किए गए ओहदे अक्सर मनोवैज्ञानिक असुरक्षा दिखाते हैं। मुनीर का बड़े सैन्य रैंक और धार्मिक निशानियों के प्रति लगाव आत्मविश्वास नहीं, बल्कि सत्ता के जरिये खुद को साबित करने की एक नाज़ुक मानसिकता को दिखाता है। इतिहास बताता है कि ऐसे लोग शायद ही कभी देश बनाने वाले होते हैं। ज्यादातर मामलों में वे संस्थानों के पतन के संकेत भर होते हैं।”

असीम मुनीर ने दावा किया कि अलग-अलग धार्मिक रीति-रिवाजों के कारण हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग देश हैं। मुनीर का ये बयान काफी चर्चा में रहा था। इसे लेकर जेएसएमएम चेयरमैन ने कहा कि इस बात ने राजनीति विज्ञान की एक बुनियादी गलतफहमी को उजागर किया है।

उन्होंने कहा, “किसी देश की नींव धर्मशास्त्र पर नहीं, बल्कि साझा इतिहास, भूगोल, सामूहिक स्मृति, आर्थिक हितों और राजनीतिक भविष्य पर टिकी होती है। जिस वक्त इस तरह के बयान दिए गए, उस समय दुनिय भर के गंभीर विश्लेषकों ने पाकिस्तान की सैन्य नेतृत्व के भीतर मौजूद एक खतरनाक बौद्धिक शून्यता को साफ तौर पर महसूस किया।”

हाल ही में असीम मुनीर ने दावा किया कि मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच जो झड़प हुई, उस दौरान देश को साफ तौर पर अल्लाह की मदद महसूस हुई। इस पर बुरफत ने कहा कि असल में पाकिस्तान चीनी सैन्य तकनीकों, इंटेलिजेंस का समर्थन, ड्रोन की क्षमता और अमेरिकी वित्तीय मदद पर बहुत ज्यादा निर्भर था।

उन्होंने कहा, “भू-राजनीतिक समर्थन को ईश्वरीय हस्तक्षेप बताना आस्था नहीं, बल्कि सोची-समझी गलत जानकारी है। वैश्विक पारदर्शिता के इस दौर में ऐसी बातें जनता की समझ का अपमान हैं।

जेय सिंध मुत्तहिदा महाज (जेएसएमएम) के चेयरमैन शफी बुरफत ने कहा, “बलूचिस्तान में अभी खुला विरोध जारी है। सैन्य ऑपरेशन के प्रति पश्तूनों का गुस्सा अच्छी तरह से डॉक्यूमेंटेड है। पंजाब के अंदर भी, प्रदर्शनकारियों ने कोर कमांडरों के घरों पर हमला किया है, जो सिविल-मिलिट्री के बीच दरार का संकेत देता है।”

बुरफत ने वैश्विक समुदाय से पाकिस्तान को गंभीरता और ईमानदारी से देखने की अपील की। ​​उन्होंने कहा कि आतंकवाद, अस्थिरता और वैश्विक ताकतों के लिए किराए के बिचौलिए के तौर पर काम करने के अलावा पाकिस्तान के पास इस इलाके या अंतर्राष्ट्रीय सिस्टम को देने के लिए और कुछ नहीं है। पाकिस्तान की भूमिका एक जिम्मेदार देश के बजाय हिंसा के सब कॉन्ट्रैक्टर की रही है।

सिंधी नेता ने कहा, “असीम मुनीर के बयान कोई रणनीतिक सोच नहीं हैं। वे एक बिगड़ी हुई सोच के लक्षण हैं। उनकी बातों में धार्मिक नारों और सेना की बहादुरी से छिपा हुआ दिमागी खालीपन दिखता है। ऐसी बातें न तो देश बनाती हैं और न ही ऐतिहासिक रास्ते बदलती हैं।”

--आईएएनएस

केके/वीसी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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