अमित शाह ने गुजरात की नमक सहकारी समितियों को दिया समर्थन, अमूल की बढ़ती विरासत की सराहना की

अमित शाह ने गुजरात की नमक सहकारी समितियों को दिया समर्थन, अमूल की बढ़ती विरासत की सराहना की

अमित शाह ने गुजरात की नमक सहकारी समितियों को दिया समर्थन, अमूल की बढ़ती विरासत की सराहना की

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IANS
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Amit Shah backs Gujarat’s salt cooperatives, applauds Amul’s expanding legacy

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

आणंद, 6 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात की पहली सहकारी नमक उत्पादन पहल की शुरुआत की रविवार को सराहना की। उन्होंने इसे सहकारिता क्षेत्र में एक उपलब्धि करार दिया।

सहकारिता मंत्रालय के गठन के चार साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा कि कच्छ जिला नमक सहकारी समिति की एक मॉडल समिति के रूप में शुरुआत हुई है, जो आने वाले दिनों में नमक उत्पादन करने वाले हर मजदूर के लिए अमूल की तरह एक सशक्त सहकारी आंदोलन बनेगा।

उन्होंने कहा, नमक उत्पादन एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जो सहकारी आंदोलन से अब तक अछूता था। आज वह कमी पूरी हो गई है।

उन्होंने कच्छ जिला सहकारी नमक महासंघ के पीछे की प्रेरणाशक्ति हुंबल भाई का जिक्र किया। अमित शाह ने कहा कि यह कदम गुजरात के पारंपरिक नमक श्रमिकों को एक संगठित और सामुदायिक नेतृत्व वाले मॉडल के जरिए उचित लाभ सुनिश्चित करेगा।

गृह मंत्री ने अमूल के मोगर चॉकलेट प्लांट और खटराज पनीर प्लांट की विस्तारित सुविधाओं का भी उद्घाटन किया और नए सरदार पटेल सहकारी डेयरी फेडरेशन का शुभारंभ किया।

अमूल की सफलताओं का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा, गुजरात में 36 लाख और शेष भारत में 20 लाख महिलाएं अमूल के संचालन को शक्ति देती हैं। उनके प्रयासों की बदौलत अमूल का मौजूदा कारोबार 80 हजार करोड़ रुपए है। अगले साल हम एक लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर लेंगे और यह लाभ सीधे 56 लाख महिलाओं के खातों में जाएगा।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सहकारिता मॉडल का उद्देश्य सिर्फ लाभ कमाना नहीं, बल्कि पूरे समुदाय को समृद्ध बनाना है और अमूल इसका सशक्त उदाहरण है।

गुजरात देश के सबसे बड़े और सबसे विविध सहकारी क्षेत्रों में से एक है, जिसमें कृषि, डेयरी, चीनी, हाउसिंग, क्रेडिट और मार्केटिंग से जुड़ी 83,000 - 87,200 से अधिक सहकारी समितियां हैं जिनमें 1.71 से 1.79 करोड़ सदस्य शामिल हैं।

आणंद पैटर्न के डेयरी मॉडल में ही अमूल, बनास डेयरी और दूधसागर डेयरी जैसी प्रमुख संस्थाएं आती हैं, जो मिलकर 36 लाख दूध उत्पादकों को सेवाएं देती हैं और 24 लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक दूध का प्रसंस्करण करती हैं। इससे सालाना 90 हजार करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व आता है।

इस क्षेत्र में महिलाएं तेजी से हिस्सा बन रही हैं। साल 2020 से 2025 के बीच महिला-नेतृत्व वाली डेयरी सहकारी समितियों की संख्या 21 प्रतिशत बढ़कर 3,764 से 4,562 हो गई है। अब 25 प्रतिशत मिल्क यूनियन बोर्ड्स में महिलाएं हैं और 32 प्रतिशत उत्पादक सदस्य महिलाएं हैं।

इसके अलावा महिलाओं के नेतृत्व वाली संस्थाओं की ओर से दूध खरीद में 39 प्रतिशत (57 लाख लीटर/दिन) की वृद्धि हुई है। इससे सालाना नौ हजार करोड़ रुपए से अधिक की आय हुई।

सहकारी समितियों के बीच सहयोग पहल का विस्तार 33 जिलों तक हुआ है, जिससे चार लाख से अधिक नए बैंक खाते खुले हैं और 966 करोड़ रुपए से अधिक की जमा राशि जोड़ी गई है।

--आईएएनएस

डीसीएच/एकेजे

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