एआईआईए का राष्ट्रीय सेमिनार, आयुर्वेदिक सर्जरी के नए रुझानों पर होगी चर्चा

एआईआईए का राष्ट्रीय सेमिनार, आयुर्वेदिक सर्जरी के नए रुझानों पर होगी चर्चा

एआईआईए का राष्ट्रीय सेमिनार, आयुर्वेदिक सर्जरी के नए रुझानों पर होगी चर्चा

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IANS
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AIIA’s national seminar to explore trends in Ayurvedic surgical practices

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (एआईआईए) तीन दिन का एक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित करने वाला है। इसमें आयुर्वेद की शल्य चिकित्सा पद्धतियों के नए-नए तरीकों और रुझानों पर चर्चा होगी। इसकी जानकारी आयुष मंत्रालय ने शनिवार को दी।

शल्यकॉन 2025 कार्यक्रम 13 से 15 जुलाई तक होगा। यह कार्यक्रम सुश्रुत जयंती के अवसर पर आयोजित किया जाएगा।

सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक माना जाता है। उनकी याद में हर साल 15 जुलाई को सुश्रुत जयंती मनाई जाती है।

एआईआईए की निदेशक मंजूषा राजगोपाल ने कहा, जब से एआईआईए की स्थापना हुई है, तब से यह पूरी दुनिया में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। शल्यकॉन, जो शल्य तंत्र विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है, इस काम को दर्शाता है। यह कार्यक्रम आयुर्वेद के सिद्धांतों को आधुनिक सर्जरी के तरीकों के साथ मिलाकर सिखाने का प्रयास करता है। इसका मकसद नए आयुर्वेदिक सर्जनों को बेहतर कौशल और आत्मविश्वास देना है ताकि वे दोनों तरीकों को मिलाकर बेहतर इलाज कर सकें।

शल्यकॉन 2025 का विषय नवाचार, एकता और प्रेरणा पर केंद्रित होगा। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सुश्रुत एसोसिएशन के साथ मिलकर आयोजित किया जाएगा।

कार्यक्रम में सामान्य एंडोस्कोपिक सर्जरी, एनोरेक्टल सर्जरी और यूरोसर्जिकल सर्जरी लाइव होंगी।

मंत्रालय ने कहा, पहले दिन में 10 सामान्य एंडोस्कोपिक सर्जरी की जाएंगी। दूसरे दिन में 16 एनोरेक्टल सर्जरी के लाइव ऑपरेशन होंगे। इससे जो लोग इस सेमिनार में आएंगे, उन्हें असली ऑपरेशन देख कर सीखने का मौका मिलेगा।

शल्यकॉन 2025 में भारत और विदेशों से 500 से ज्यादा सर्जन, शोधकर्ता और शिक्षक शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में वे अपने विचारों का आदान-प्रदान करेंगे, नए इलाज के तरीके दिखाए जाएंगे, और आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धतियों में उभरते रुझानों पर चर्चा होगी।

मंत्रालय ने कहा कि इस कार्यक्रम में सर्जरी के अलावा, एक वैज्ञानिक सत्र भी होगा, जहां डॉक्टर और शोधकर्ता अपने-अपने काम को पेश करेंगे और एक-दूसरे से चर्चा करेंगे। इससे सभी को पढ़ाई और ज्ञान बढ़ाने का मौका मिलेगा।

--आईएएनएस

पीके/एबीएम

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