'एएनआईएल' ने भारत के पहले ऑफ-ग्रिड 5 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्लांट के शुरू होने की घोषणा की

'एएनआईएल' ने भारत के पहले ऑफ-ग्रिड 5 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्लांट के शुरू होने की घोषणा की

'एएनआईएल' ने भारत के पहले ऑफ-ग्रिड 5 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्लांट के शुरू होने की घोषणा की

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IANS
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ANIL’s off-grid 5 MW Green Hydrogen Pilot Plant in Kutch, Gujarat

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

अहमदाबाद, 23 जून (आईएएनएस)। अदाणी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड (एएनआईएल) ने सोमवार को गुजरात के कच्छ में भारत के पहले ऑफ-ग्रिड 5 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्लांट के सफलतापूर्वक शुरू होने की घोषणा की, जो देश के क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन में एक प्रमुख मील का पत्थर है।

यह स्टेट-ऑफ-द-आर्ट प्लांट 100 प्रतिशत सोलर एनर्जी से संचालित है और बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) के साथ इंटीग्रेटेड है, जिससे यह पूरी तरह से ऑफ-ग्रिड संचालित हो सकता है।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि यह प्लांट विकेंद्रीकृत, रिन्यूएबल एनर्जी से चलने वाले हाइड्रोजन प्रोडक्शन में एक नए प्रतिमान का प्रतिनिधित्व करता है।

कंपनी ने कहा, एएनआईएल पायलट प्लांट भारत की पहली ऑफ-ग्रिड 5 मेगावाट की ग्रीन हाइड्रोजन सुविधा है, जिसमें पूरी तरह से स्वचालित, क्लोज्ड-लूप इलेक्ट्रोलाइजर सिस्टम है, जिसे रियल टाइम में रिन्यूएबल एनर्जी इनपुट के लिए गतिशील रूप से प्रतिक्रिया देने के लिए डिजाइन किया गया है। यह विशेष रूप से सौर ऊर्जा की परिवर्तनशीलता को संबोधित करने में, दक्षता, सुरक्षा और प्रदर्शन सुनिश्चित करते हुए मूल्यवान ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है।

कंपनी की यह सफलता उभरती हुई ग्रीन हाइड्रोजन इकोनॉमी में इनोवेशन, सस्टेनेबिलिटी और लीडरशिप के लिए अदाणी समूह की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

यह प्लांट ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए ग्लोबल हब बनने की भारत की महत्वाकांक्षा का समर्थन करता है और हार्ड-टू-अबेट सेक्टर में रिन्यूएबल-पावर्ड इंडस्ट्रियल एप्लीकेशन के लिए एक बेंचमार्क स्थापित करता है।

हार्ड-टू-अबेट सेक्टर उन्हें कहा जाता है, जहां अंतर्निहित प्रक्रिया विशेषताओं या तकनीकी सीमाओं के कारण कार्बन उत्सर्जन को कम करना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है।

यह पायलट प्लांट गुजरात के मुंद्रा में एएनआईएल के आगामी ग्रीन हाइड्रोजन हब से पहले प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट के रूप में भी काम करता है, ऐसी परियोजना जो कि भारत के लो-कार्बन फ्यूचर में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

ग्रीन हाइड्रोजन से उर्वरक, रिफाइनिंग और हेवी ट्रांसपोर्ट जैसे सेक्टर में डीकार्बोनाइजिंग और ग्लोबल नेट जीरो टारगेट को पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।

यह पहल नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) के साथ जुड़ी हुई है, जो भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य आयात निर्भरता को कम करना, ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ाना और ऊर्जा-गहन उद्योगों के डीकार्बोनाइजेशन में तेजी लाना है।

यह सब देश के आत्मनिर्भर भारत विजन को पूरा करने के लिए है।

भारत का उद्देश्य न केवल अपनी घरेलू मांग को पूरा करना है बल्कि 2030 तक डीकार्बोनाइजेशन एक्शन में सार्थक योगदान देते हुए ग्रीन हाइड्रोजन का एक प्रमुख वैश्विक निर्यातक बनना भी है।

इस बदलाव को आगे बढ़ाने के लिए, सरकार ने 2023 में 2.4 बिलियन डॉलर के शुरुआती आवंटन के साथ एनजीएचएम शुरू किया था। भारत का विजन 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता हासिल करना और 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन तक पहुंचना है।

--आईएएनएस

एसकेटी/एबीएम

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