कोलंबो, 15 अगस्त (आईएएनएस)। श्रीलंका में 21 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 39 उम्मीदवार मैदान में हैं। यह चुनाव द्वीपीय देश में अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट के बाद होने वाला पहला चुनाव है।
चुनाव आयुक्त आर.एम. रत्नायके ने गुरुवार को सभी उम्मीदवारों की मौजूदगी में घोषणा की, राजनीतिक दलों और स्वतंत्र व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 40 उम्मीदवारों ने चुनाव के लिए जमानत राशि दाखिल की थी, लेकिन केवल 39 ने नामांकन पत्र जमा किए।
इस सभा में मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा और मार्क्सवादी नेता अनुरा दिसानायके मौजूद थे, जिन्हें चुनाव में सबसे आगे माना जा रहा है।
चुनाव आयुक्त ने उम्मीदवारों को सार्वजनिक रूप से और मीडिया के माध्यम से अपने अभियान में चुनाव कानूनों का पालन करने के लिए भी आगाह किया। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि चुनाव कानूनों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
लगभग 2.2 करोड़ की कुल आबादी में से, 1.71 करोड़ आगामी चुनाव में मतदान करने के पात्र हैं। इसमें 12 लाख नये मतदाता शामिल हैं।
पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई गोटाबाया राजपक्षे 2019 के चुनाव में शानदार जीत दर्ज कर राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए।
हालांकि, कोविड महामारी के बाद गंभीर आर्थिक संकट और कई अदूरदर्शी फैसलों के कारण देश में भोजन, ईंधन, दवा और रसोई गैस जैसी बुनियादी जरूरतों की भारी कमी के साथ एक बड़ा आर्थिक संकट पैदा हो गया।
व्यापक विरोध और हिंसा ने जुलाई 2022 में गोटाबाया को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया, जबकि राजपक्षे परिवार के कई अन्य सदस्य भी छिप गए।
जाते समय, गोटाबाया ने संसद में लगभग 60 प्रतिशत एसएलपीपी बहुमत के साथ विक्रमसिंघे को देश संभालने के लिए आमंत्रित किया।
धीरे-धीरे आर्थिक संकट को नियंत्रित करने के बाद, विक्रमसिंघे ने एसएलपीपी से आगामी राष्ट्रपति चुनाव में उनका समर्थन करने के लिए कहा, लेकिन राजपक्षे ने राष्ट्रपति पर उनकी पार्टी को विभाजित करने का आरोप लगाया और किसी भी तरह का समर्थन देने से इनकार कर दिया।
पिछले सप्ताह, पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के सबसे बड़े बेटे नमल राजपक्षे ने भी श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में प्रवेश किया।
-- आईएएनएस
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