हीरो बनने आए थे, 'बाबूजी' बनकर छा गए, जानें आलोक नाथ का दिलचस्प फिल्मी सफर

हीरो बनने आए थे, 'बाबूजी' बनकर छा गए, जानें आलोक नाथ का दिलचस्प फिल्मी सफर

हीरो बनने आए थे, 'बाबूजी' बनकर छा गए, जानें आलोक नाथ का दिलचस्प फिल्मी सफर

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IANS
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हीरो बनने आए थे, बाबूजी बनकर छा गए, जानें आलोक नाथ की दिलचस्प फिल्मी कहानी

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुंबई, 9 जुलाई (आईएएनएस)। आलोक नाथ का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सबसे पहले एक संस्कारी बाबूजी की तस्वीर उभरती है। वह जो हमेशा बड़े प्यार से अपने परिवार की देखभाल करते हैं, संस्कारों की बात करते हैं और बड़े ही सलीके से बच्चों और बहुओं को समझाते हैं। उनकी यह छवि बॉलीवुड और टीवी दोनों जगह ऐसी बन गई है कि लोग उन्हें संस्कारी पिता के तौर पर ही जानते हैं।

बहुत सी फिल्मों में उन्होंने ऐसा किरदार निभाया कि लोग उन्हें असल जिंदगी में भी ऐसा ही समझ बैठते हैं। चाहे वह हम आपके हैं कौन, विवाह, हम साथ साथ हैं जैसी फिल्में हों या टीवी के मशहूर शो बुनियाद और विदाई, आलोक नाथ ने अपने अभिनय से संस्कारी बाबूजी का जो रोल निभाया, वह आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। लेकिन उनकी जिंदगी और करियर की कहानी उस संस्कारी बाबूजी से बहुत अलग है।

असल जिंदगी में उन्होंने काफी संघर्ष किया। बहुत कम लोग जानते हैं कि जब उन्होंने अपना एक्टिंग करियर शुरू किया था, तब उनका सपना कुछ और ही था। वह हीरो बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें हीरो तो नहीं, लेकिन बाबूजी बनाकर लोगों के दिलों में जगह जरूर दिला दी।

आलोक नाथ का जन्म 10 जुलाई 1956 को बिहार के खगड़िया जिले में हुआ था। बचपन से ही उन्हें एक्टिंग का बहुत शौक था। उन्हें पढ़ाई में कम और एक्टिंग में ज्यादा मन लगता था। उन्होंने एक्टर बनने की बचपन से ही ठान ली थी। इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में दाखिला लिया। वहां उन्होंने थिएटर सीखा और अपने हुनर को निखारा। एक्टिंग में उनका मन पूरी तरह रम गया था और वह हीरो बनने की ख्वाहिश लिए मुंबई आ गए।

साल 1982 में उन्हें पहली बार फिल्म गांधी में छोटा सा रोल मिला और इसके लिए उन्हें 20 हजार रुपए की पहली कमाई भी मिली। उस समय उनके पिता की सालाना कमाई 10 हजार रुपए थी। उनकी इस कमाई ने घरवालों को भी चौंका दिया, जिसके बाद आलोक के अभिनय करियर को पिता का भी सपोर्ट मिलने लगा। उन्होंने मशाल, सारांश, मोहरा जैसी फिल्मों में बतौर सपोर्टिंग एक्टर काम किया। इंडस्ट्री में बने रहने के लिए उन्होंने मजबूरी में 30 साल की उम्र में अपने से दोगुनी उम्र के पिता वाले किरदार निभाए। इस दौरान इन किरदारों से मेकर्स को एक बात समझ में आने लगी कि उनकी शक्ल और अंदाज किसी हीरो की भूमिका में नहीं, बल्कि संस्कारी पिता के रोल में ज्यादा फिट बैठते हैं।

साल 1988 में आई फिल्म कयामत से कयामत तक में उन्होंने ऐसे पिता का किरदार निभाया, जो आमिर खान को पाल-पोसकर बड़ा करता है। उनका यह किरदार हर दर्शक के दिल को छू गया। इसके बाद 1989 में उन्होंने मैंने प्यार किया में भाग्यश्री के पिता का किरदार अदा किया और यहां से उनकी बाबूजी के रूप में छवि पक्की हो गई।

इसके बाद आलोक नाथ ने अपने करियर में कई ऐसी फिल्में कीं, जिनमें उन्होंने पिता, समधी या बुजुर्ग व्यक्ति का किरदार निभाया। वह हम आपके हैं कौन, विवाह, हम साथ साथ हैं, परदेस, ताल जैसी कई फिल्मों में बाबूजी के किरदार में दिखे। टीवी पर भी उन्होंने बुनियाद, रिश्ते, सपना बाबुल का... बिदाई जैसे शो में पिता का रोल करके लाखों लोगों का दिल जीता।

इस दौरान आलोक नाथ संस्कारी बाबूजी के रोल में अपने करियर को बंधा महसूस करने लगे। वह इस छवि से बाहर निकलना चाहते थे। उन्होंने बोल राधा बोल, षड्यंत्र, विनाशक जैसी फिल्मों में निगेटिव रोल किए, और कामाग्नि जैसी फिल्मों में रोमांटिक अवतार में भी नजर आए। लेकिन दर्शकों ने उन्हें हर बार संस्कारी बाबूजी के रूप में ही ज्यादा पसंद किया।

उन्होंने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों और 15 से ज्यादा टीवी शोज में काम किया है।

--आईएएनएस

पीके/एकेजे

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