आज के समय में कपल में माता-पिता बनने के लिए IVF का चलन काफी बढ़ गया है. IVF का अर्थ है कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन. इसे ऐसे कपल कराते हैं, जिन्हें नेचुरली संतान सुख नहीं मिल पाया है. इस मेडिकल साइंस की सहायता से हजारों लोगों का माता-पिता बनने का सपना पूरा हुआ है. आपको बता दें कि साल 1978 में 25 जुलाई को पहले टेस्ट ट्यूब बेबी लुईस ब्राउन का जन्म हुआ था. खास उपलब्धि को याद रखने को लेकर हर वर्ष इस दिन World IVF Day मनाया जाता है.
जानें किसने खोज की थी
आपको बता दें कि IVF की शुरुआत 1978 में हुई थी. लुईस ब्राउन का जन्म इस तकनीक के माध्यम से 25 जुलाई 1978 को इंग्लैंड में हुआ था. इस टेक्नोलॉजी को सफल बनाने में वैज्ञानिक रॉबर्ट एडवर्ड्स और डॉक्टर पैट्रिक स्टेप्टो को श्रेय जाता है. रॉबर्ट एडवर्ड्स को उनके काम के लिए 2010 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया.
IVF की प्रक्रिया क्या है?
IVF एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म्स को शरीर के बाहर लैब में मिलाने की कोशिश होती है. यह eggs एंब्रायो बन जाता है. उसे महिला के Uterus में ट्रांसफर किया जाता है. इसे सामान्य तरह से विकसित किया जाता है.
किन्हें होती है जरूरत
IVF ट्रीटमेंट उन दंपति के लिए होता है जो लंबे वक्त से माता-पिता बनने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन सफल नहीं हो पाए. इस मामले में अकसर महिलाओं की फॉलोपियन ट्यूब्स ब्लॉक होती हैं या पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होता होता है या क्वालिटी अच्छी नहीं है. एंडोमेट्रियोसिस जैसी हालत में भी IVF की आवश्यकता होती है. वहीं उम्र अधिक होने पर भी महिला की प्रजनन क्षमता में गिरावट आती है. इसके साथ मिसकैरेज होने पर भी ये एक तरीका काम आता है.
IVF के सफल होने के कारक
हर मामले में हालात अलग होते हैं. कई बार पहली बार में ही सफलता मिल जाती है. वहीं कई मामलों में दो से तीन बार IVF करना पड़ जाता है. इसमें महिला की उम्र, सेहत और Embryo की गुणवत्ता का अहम रोल होता है.
क्या IVF सुरक्षित है?
आपको बता दें कि IVF काफी सुरक्षित है. मगर इसमें मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से तैयार रहने की आवश्यकता है. इसमें आपको एक बार सफलता मिलने की चांसेस कम होते हैं. मगर सही देखरेख और डॉक्टर की सलाह से इसमें सफलता पाई जा सकती है.